यादगार चुदाई चचेरी बहन की


बात तब की है जब वो दिल्ली यूनिवर्सिटी से ठंडी की छुट्टियों में घर आती थी, घर में सब लोग उन छुट्टियों में जमा हुए थे. मैं भी कानपुर में पढ़ाई करता हूं तो मैं भी छुट्टियों में घर गया हुआ था। सब मजे में एक दूसरे के साथ मस्ती करते हसी मजाक करते घूमते फिरते। छुट्टियां अच्छी बीत रही थी.  उस ठंड के मौसम में अनुपमा को देख देख कर घर पर मैंने दो तीन बार मुट्ठियां पेल दी थी। बस सोचता ही रहता था कि कैसा इसकी जवानी को पाऊंगा। पर तभी एक ऐसा दिन आया जिसने मेरी जिंदगी बदल दी।  हुआ यूं कि घर वाले रिश्तेदारी में शादी में जाने वाले थे. सभी का जाना तय हुआ लेकिन तभी हमारी दादी कि तबीयत खराब हुई और कहा गया कि अनुपमा घर पे रहे ताकि दादी को उठाना बैठना, नहलाना करा सके. दादी की उम्र काफी थी और सुनती भी कम थी।  मेरी नजर अनुपमा पे तभी से टिकी थी जब से वो दिल्ली से वापस आई थी. कुछ सोचने के बाद मैं भी दादी की सेवा के बहाने रुक गया और घर वाले चले गए। उस दिन मैंने सोचा कि आज इस मिठाई को चख कर जरूर रहूंगा.  दादी को दवा देकर सुलाने के बाद हम लोग लैपटॉप पर मूवी देखने बैठे, ठंड थी तो एक ही रजाई में हम दोनों मूवी देख रहे थे। तभी मैंने बातों ही बातों में उससे उसके कॉलेज लाइफ के बारे में जानना चाहा. वो भी कुछ देर बाद मूवी से ध्यान हटा कर मुझसे अच्छे से बात करने लगी. बातों में पता चला कि उसका वहां एक बॉयफ्रेंड भी है, मुझे उस वक़्त लगा कि गई भैंस पानी में।  पर मैंने सोचा प्रयास करने में क्या हर्ज है मुझे कौन सा प्रेम के पींगें बढ़ानी हैं इसके साथ … बातों बातों में मैंने पूछ लिया- क्या तुम अपने ब्वॉयफरेंड के साथ सब कर चुकी हो? तब वो चुप हो गई. मुझे लगा कि मैंने जल्दबाजी कर डाली.  लेकिन उसने जवाब दिया- नहीं, अभी तक कुछ वैसा नहीं किया जैसा तुम सोच रहे हो। मैं समझ गया कि अब लोहा गर्म हो रहा है, मैं अब माहौल बनाने में लग गया।  तकरीबन बारह बजे इधर उधर की बात करते करते मैंने कहा- चलो चाय बनाते हैं. उसने हामी भरी और हम रसोई में चले गए.  चाय बनाते वक़्त मैंने उससे कहा- तुम जबसे दिल्ली गई हो, बहुत खूबसूरत हो गई हो. तो वो हंसने लगी और शुक्रिया कहा.  फिर उसने कहा- तुम भी हैंडसम बन गए हो, कोई मिल गई क्या? मैंने भी कहा- नहीं मिली तो नहीं … पर लग रहा है जल्दी मिल जाएगी. शायद इशारों में कहीं बात उसने पकड़ ली थी।  तभी उसने कहा- जब से दिल्ली से आईं हूं, देख रही हूं तुम्हें, मेरे ऊपर से नजर हट नहीं रही तुम्हारी? चोरी पकड़े जाने पर मैं सकपका गया और कुछ ना बोल पाया.  फिर उसने कहा- अब इतनी बातें हो गई तो बता दो क्या चल रहा है दिमाग में? उसने मजाकिया लहजे में ही पूछा. लेकिन मैंने बहुत ही प्यार से कहा- तुम अच्छी लग रही हो मुझे! और सब सांस में कह डाला कि क्यों मैंने रुकने का फैसला किया।  चाय उबल के गिर गई और उसने मुझे ऐसे देखा की बस जैसे सन्न रह गई हो. मैंने कहा- चाय उबल गयी. मुझपे से नजर हटाते हुए उसने चाय उतारी और मंद मंद मुस्कुराने लगी. मैं समझ गया तीर निशाने पे लगा है।  चाय लेकर हम अंदर कमरे में आए और रजाई में घुस गए. बाहर ठंड भी काफी थी. रजाई के अंदर हमारे पैर टकराने लगे. उसने पहले कोई हरकत नहीं की पर बाद में वो भी धीरे से अपना पैर मेरे पैर के पास ले आई।  चाय पीकर मैंने उससे कहा- इस ठंड में गर्मी चाय से भला कहाँ मिलेगी? इशारों में उसने भी कहा- हां, इसकी गर्मी तो पल भर की ही है। फिर मैंने उसके गले में हाथ डाला और कहा- तो क्या तुम्हें लंबी गर्मी दे दूँ अगर तुम कहो?  मुस्कुराते हुए उसने कहा- अच्छी चीज किसे नहीं पसंद? बस फिर क्या था … मैंने धीरे से उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और फिर होंठों के बीच ऐसी रगड़न शुरू हुई कि बगल में रखा कप नीचे गिर पड़ा.  लेकिन लड़की का दिल्लीपना जाग गया था और मैं भी रुकने के मूड में कतई नहीं था।  ना जाने कब मैंने उसका टॉप उतार दिया और उसने मेरा … आंख खुली तो कुछ देर के लिए उसे देखता रह गया. सुडौल बदन, पतली कमर और उसके मम्मे जो ट्रक में लदे सामान की तरह बाहर झांक रहे थे. उसने लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी, कसम से कहर ढा रही थी. यह नजारा इतना हॉट था कि लंड मेरा पैंट के अंदर से ही फुंफकारने लगा.  मैंने अनुपमा से पूछा- तुम्हें कैसा सेक्स पसंद है रोमांस वाला या? बोलते बोलते उसने कहा- भाई, मुझे रफ सेक्स पसंद है.  इतना कहते ही मैं उस पर टूट पड़ा और अगले ही पल उसकी ब्रा बाहर और मम्मे मेरे मुंह में थे. उसकी सिसकारियां मेरे होश उड़ाए जा रही थी।  तभी उसने मुझे बिस्तर पे धक्का दिया, मेरे ऊपर बैठ गई और बेल्ट खोलने लगी. इन सबके बीच मेरी नजर उसके झूलते हुए मम्मों पर ही टिकी रही. अचानक मैंने उसे अपनी बांहों में भींच लिया और उसके मम्मे चूसने लगा.  फिर थोड़ी देर बाद मैंने भी उसकी लेगी उतारी. दूसरा झटका उसकी घाटी जैसी चूत को पैंटी के ऊपर से देख कर लगा. लाल ब्रा के साथ ही लाल पैंटी और दूध जैसा गोरा बदन अब तो बस यूं लग रहा था कि कितना तगड़ा चोद दूँ इसे।  अब तक हम दोनों भाई बहन नंगे हो चुके थे और मैं एकदम जोश में था. मैंने उसे पीछे से पकड़ा और जो मम्मे रगड़ना शुरू किए कि उसका शरीर ढीला पड़ गया। पीछे से मेरा लंड भी उसकी गान्ड की दरार में बार बार जाने के लिए मचल रहा था.  तभी अनुपमा ने एक टांग उठाई और बिस्तर के किनारे पर रखा और पीछे से लंड पकड़ कर चूत पर टिका दिया। मैं उस वक़्त पूरे जोश में था समझ नहीं आ रहा था कि जिसे सिर्फ ख्यालों में चोदा है उसके साथ अब असली में क्या करूँ?  चूत को छूते ही मैंने धक्का लगाना शुरू किया. लंड इतना कड़क हो गया था कि उसके टपकते पानी से फिसल जा रहा था। तब अनुपमा पलटी और बिस्तर पर टांग खोल कर लेट गई. मैं समझ गया कि वो चूत चटवाना चाह रही है.  उसे ज्यादा इंतजार ना करवाते हुए मैंने भी तुरंत अपनी जीभ उसकी चिकनी चूत में घुसा दी. जीभ लगते ही अनु उछल पड़ी और मेरा सर अंदर की तरफ दबाने लगी जैसे मुझे अंदर तक भर लेगी. उसके जोश को देखकर मैं और अच्छे से चूत से खेलने लगा और एक हाथ से उसके मम्मे सहलाने लगा।  अब उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैंने भी चूत का पानी साफ कर दिया था. उसने मुझे कहा- अविनाश भाई, प्लीज़ फक मी हार्ड!  उसकी इन बातों को सुन कर मैंने भी उससे कहा- बस जानेमन, ऐसे चोदूंगा अब कि तेरा ब्वॉयफ्रेंड भी तुझे कभी ऐसे ना चोद पाएगा। इतना कहते ही मैंने एक झटके में चूत पर लंड टिकाया और दे मारा।  अनुपमा चीख उठी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… उसकी चीख दबाने के लिए मैंने उसके होंठ अपने होंठों से दबा दिए. उसने उस वक़्त काफी कोशिश की मुझे हटाने की क्योंकि उसे दर्द हो रहा था.  लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था, धीरे धीरे मैंने धक्के की रफ्तार को बढ़ाया और उसे भी तब मजा आने लगा। मैंने अब उसके होंठों से अपने होंठ हटा लिये. अब वो पूरे मस्ती में चुदवा रही थी, उसका जोश देखने लायक ही था, वो भी मेरा पूरा साथ देते हुए मुझे पकड़ के चूत उठा उठा कर चुदवा रही थी. उसके उछलते हुए मम्मे आग में घी जैसे काम कर रहे थे।  कुछ देर बाद मैंने उससे मेज की तरफ इशारा करते हुए कहा- चलो उसे पकड़ के झुक जाओ! वो समझ गई कि मैं उसकी गान्ड मारने की बात कर रहा हूं, उसने कहा- बहुत दर्द होगा … नहीं? मैंने उसे बांहों में उठा कर चुम्मा करते हुए मेज के पास खड़ा किया और उसके मना करते करते मैंने उसे झुका दिया था। अनुपमा लगातार मना कर रही थी लेकिन मैं कुछ सुनने के मूड में नहीं था.  मैंने उसके मम्मे सहलाते हुए कहा- जानू कुछ पल का दर्द … बस फिर मजा ही मजा। ये कहते हुए मैंने गान्ड को हाथ से फैलाया और छेद पर अपना सुपारा रख कर अंदर डालने की कोशिश करने लगा।  थोड़ा सा छेद फैलने पर वो तेज चिल्लाने लगी, उसकी आवाज दबाने के लिए पहले मैंने एक क्रीम अपने लन्ड और गान्ड के छेद पर लगाई, फिर पीछे से उसका मुंह पकड़ कर लंड गान्ड में देने की कोशिश करने लगा.  धीरे धीरे उसकी सिसकारियों के बीच आधा लंड गान्ड में जा चुका था. अब मैंने उसका मुंह खोला और बहन की गान्ड मारनी शुरू की। वो ऐसा पल था कि बस मानो जन्नत मिल गई हो।  कुछ देर तक गान्ड मारने के बाद हम अब थक चुके थे।  उस रात तीन राउंड चोदने के बाद हम बुरी तरह थक गए थे. लगभग तीन बज रहे थे, हम नंगे ही एक दूसरे से चिपक कर सो गए. थोड़ी देर बाद वो उठी उसने ब्रा पैंटी पहनी. और वो कपड़े पहन ही रही थी तब मैं उठा, मैंने उससे कहा- जानेमन, तुमने मीठा तो खाया ही नहीं? वो मुस्कुराई और चली गई.  मैं उसके पीछे पीछे साथ गया और वहां उसे दीवार से सटा कर लिप लॉक किया. कुछ देर तक करने के बाद उसने अपना हाथ लंड की तरफ बढ़ा दिया और फिर वहीं मैंने उसे अपना लंड चुसवाया. जैसे ही उसने मेरे लन्ड को अपने मुंह में रखा, मेरा शरीर ढीला पड़ने लगा. दोनों हाथ से अच्छे से पकड़ कर मेरी बहन एकदम रंडियों की तरह मेरा लंड चूसे जा रही थी। उसे उस वक़्त देख कर शायद कोई ना कहता कि इस पहले कभी लंड नहीं चूसा होगा।  उसका जोश देखकर मैंने उसका सिर पीछे से दबाया और लंड को गले तक पहुंचा दिया. कुछ देर में ही उसने लंड बाहर निकलते हुए खांसना शुरू कर दिया. फिर अगले ही पल फिर से चूसने लगी और अंदर तक ले गई. लगभग दस मिनट के बाद मेरा माल निकल गया, उसने सारा माल अपने मुंह में ही भरा और उंगलियों से बाकी चाट चाट के पी गई.  आखिरी की कुछ बूंदें उसके होंठों पर लगाते हुए मैंने लंड बाहर निकाला।  फिर वो उठी और कहा- अब से हर छुट्टी में मुझे ये मिठाई चाहिए। मैंने भी लिप लॉक करते हुए उसे कहा- जरूर मेरी बहना।  सुबह सब वापस आ गए थे. कुछ दिन बाद अनुपमा चली गई और वो रंगीन यादें जो हमने बनाई थी, उनके भरोसे मैं भी अपने घर आ गया।  आज भी जब मेरी चचेरी बहन घर आती है तो मुझसे जरूर चुदवाती है। हमने बाइक पर बैठ के भी खूब मजे किए है। जब वो दिल्ली में होती है तो हम वॉट्सएप पर सेक्स चैट करते है, वो मुझे अपनी नंगी तस्वीरें भी देती है।  अब तो वो अपने ब्वॉय फ्रेंड से भी चुदवाती है और मुझसे भी … लेकिन उसने मुझसे कहा है- अविनाश तुम्हारे लंड की बात और कहीं नहीं! खैर हम दोनों बहुत मजे में है।

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