सगी बहन संग

नमस्कार मेरे प्यारे दोस्तो कैसे है आप,मै आपका दोस्त रविराज उर्फ़
राजेश फ़िर एकबार एक नई कहानी के
साथ हाजीर हू।
ईस बार मै आपको बताने वाला
हू की कैसे
मैने अपनी दिदी को बस मे
चोदा और एक
नया अनुभव लिया। दोस्तो मै
आपको ये बताना
चाहूंगा की बस मे तो क्या पर
किसीभी गाडी मे
किसी लडकी को चोदना आसान
नही है। पर मैने ये काम कर दिया है,
मैने मेरे दिल कि बात आपके
सामने
रख दि है, कैसे लेना है ये
तुम तय करो।
लेकिन मै फ़िर एक बार बताना
चाहता हू की
इस काहानी का एक एक लब्ज सच
है।
मुझे लगता है आपको ये पसन्द
आयेगी।
अब मै तुम्हारा जादा टाईम
ना लेते हुये
सिधा अपनी कहाणी पर आता हू,
आप सबको तो मालुम ही है की मै
कितना चुद्दकड हू।
और मेरे चुदाई की शुरुवात
मेरी अपनी दिदीसे हुई है।
मुझे मेरी दिदीने मुझे
चोदना सिखाया है।
जब मै आठवी कक्शा मे पढ्ता
था।
मेरी बहुत सारी कहानीया
उपल्बध है,
मेरी बाकी कहानीयोंकी
जानकारी के लिये
आप मुझे मेल भी कर सक्ते है,
आपको ये भी मालुम है की मुझे
दो बहने है,
और दोनो भी बडी चुद्दकड है।
वो दोनो हर रात मुझसे
चुदवाती थी।
मेरा एक भी दिन उन्हे चोदे
बगैर नही जाता था।
और एक बात,आपने मेरी पिछली
कहानी मे पढी होगी,
हर दिवाली को मेरी मोसेरी
बहन सुमन हमारे घर आती थी,
उसे भी मेरी दिदीने मुझसे
चुदवाया था।
वो भी मेरे लंड की दिवानी
थी।
मै अकेला और मेरी तिन
बहने,मेरा एक लंड और
मेरी तिन दिदीयोंकी तिन
चुत, वो दिन बहुत खास थे।
तो प्यारे दोस्तो मैने
आपको पिछली कहाणी मे बताया
था,
मेरी दोनो बहनोंकी शादी हो
चुकी थी।
और मेरे बडे भैय्या की भी छे
महिने
के पहले शादी हो गयी थी।
उसकी बिवी यानी मेरी भाबी
भी एकदम
मेरे दिदी जैसी खुबसुरत थी।

एकदम पटाखा माल्। बडी
चुद्दकड्।
उसके बडे बडे मम्मे, गुलाबी
ओठ,
नाजुक कमर और उसकी फ़िगर
देखकर मुझे
मेरी दिदी की बहुत याद आती हैे लेकीन मै कुच्च भी नही कर
सकता था। मेरे पास चुदाई का कुछ भी
जुगाड नही था। और चुत के बिना मेरा कही भी
दिल नही लगता था। क्या करे मेरे कुछ समझ मे
नही आ रहा था।
ऐसे ही दिन गुजर रहे थे। मै हर रात चोरीसे भैय्या
भाबी की चुदाईके सिन
देख कर मुठ मारके सो जाता
था। मै हमेशा सोचता था, भाबी को कैसे पटाया जाये,
गर्मियोंकी छुट्टीयोमे
मेरी महाचुद्दकड बहन
स्वाती दिदी हमारे घर
कुछ दिनोंके लिये आनेवाली
थी। मै बहुत खुश था। क्युंकी
दिदी की मदद से मै
भाबी को चोदना चाहता था। और
मुझे पुरा यकीन था,
मेरी दिदी ईस काम मे माहिर
थी।
किसीको भी किसिसे चुदवाना
दिदीके बाये हाथ
का खेल था। जैसे उसे माहरत
हासिल थी।
मेरी दिदी एकदम पटाखा माल
थी।बडी चुद्दकड्।
अगर उसे कोइ बुड्डा भी देखे
तो
उसका लंड जरुर खडा होता था।
दिदी को घर लाने की
जिम्मेदारी मेरी थी।
मैने माँ को बता दिया की उसे
लेने
के लिये मै कल जानेवाला हू।
माँ को कुछ ऐतराज नही था।
माँ ने हा कर दी।
और मेरी मम्मी ने दिदी को
मेरे आने की खबर दे दी।
लेकीन मेरे से एक दिन का
इंतजार नही हो रहा था,
फ़िर उसी दिन मै दिदीको लेने
निकल गया।
और ईस बात की जानकारी भी
मैने दिदी को दे दी।
ताकी वो निकलने की पुरी
तैय्यारी कर सके।
जब मै स्वातीदिदी के घर पे
पहुंच गया तो घर पे
दिदी और उसकी सांस ये
दोनोंही थे, घर मे
इन दोनोंके अलावा और कोइ भी
सदस्य नही था।
घर मे कोइ रहे ना रहे इससे
मुझे कोइ लेना देना नही था।
मुझे तो मेरी दिदी कि चाहत
थी।उसकी चुत ने
मुझे दिवाना कर दिया
था।दिदी के घर पहुंच्ने के
बाद
मै बहुत खुश था। मुझे देखते
ही दिदी पाणी ले कर आ गयी।
वो भी बहुत खुश दिख रही थी।
मै वहा पहुन्चने से पहले
ही दिदीने निकलने की पुरी
तय्यारी कर रखी थी।
दिदीने हमारे लिये चाय
बनाई। कुछ देर इधर उधर की
बाते होती रही,
चाय पिने के बाद हम लोग निकल
गये।
लेकीन दिदी की सास बोली,
“क्या कर रही है तू ?
अभी अभी तो आया है वो।
और तु लगेच उसे लेके जा रही
है। मै तुम्हे ऐसे थोडे ही
जाने दुंगी।
पहले कुछ खाओ पिओ और फ़िर
आराम से चले जाना।
तुम्हे मना कोन कर रहा है।”
उसकी बात खतम होने पर
मै मना करने लगा, लेकिन उसने
मेरी एक ना सुनी।
और फ़िर वो बाजार से कुछ लाने
के लिये चली गयी।
दिदीकी सास घरसे बाहर जाते
ही मै दिदी को लिपट गया।
मैने दिदी की एक बडी चुम्मी
ले ली।
और मै दिदीके बदन पे हाथ
फ़िराने लगा।
मदहोश होकर मै दिदीके बडे
बडे मम्मे दबाने लगा।
दिदीकी साँस फ़ुल गयी थी।
उसकी की वजह से दिदी के
मम्मे उपर नीचे हो रहे थे।
स्वातीदिदीने मेरा हाथ
पकड़ा और मुझे अपने बेडरुम
मे ले गयी ।
मैने दिदीको बेड पे लिटा
दिया और दिदीकी साडी उपर
करने लगा।
दिदीने निकर नही पहनी थी,
तो मैने दिदी से कहा,”दिदी
क्या तुम निकर नही पहनती हो?”

वो बोली,”अरे बुद्धू तुम
आनेवाले हो ये बात मुझे
मालुम थी ना,
ईसलिये तुम्हारे स्वागत के
लिये निकल रखी है।
और दिदीने मेरा हाथ आपनी
चुत पे रख दिया,
फ़िर मुझे अपने उपर खींच के
मुझे चूमने लगी।
मैने अब दिदीके पैरो के बीच
मे बैठ गया।
उ्सके पैरो को फैला कर उसकी
चूत को अपने हाथ से
फैला के उसकी चूत के अंदर
वाले हिस्से को देखने लगा।
दिदी बोली,आज इस चूत की
गर्मी बुझा दो।
मेरी चूत का कचूमर बना दो।
फ़िर मै दिदी के उपर हो गया और
जन्नत का मजा लेने लगा।
मैने कहा, “हम दोनो मे भाई
बहन का रिश्ता तो सिर्फ़
दुनियावालों के लिये है।
आसली मे तो हम पती पत्नी ही
है।”
तो दिदी बोली, ” नही रे मै तो
पुरी रंडी बन चुकी हू।
आज तक मैने ना जाने कितने
लंड को ठंड किया है।”
“लेकीन फ़िर भी तू बहूत बढीया
माल है।” मैने कहा।
अब दिदी की मुह से
सिस्कारीया निकल रही थी।

ैने लंड बाहर निकाला और
उसके मम्मों के साथ
खिलवाड करने लगा। हम दोनों
को भी बहुत मजा आ रहा था।
मै दिदीकी चुत पर मेरी
उंगलीया घुमा रहा था।
और एक हाथ से दिदीके मम्मे
दबा रहा था।
दिदी को मजा आ रहा था।मैं और
तेज़ दबाने लगा।
स्वातीदिदी तेज़ आहे भरने
लगी……..
.अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह या
आआआअह्ह्ह्ह्ह
उह्ह्हुहुहू अह।
फिर मैं दिदीके मम्मे को
मुँह में लेकर चूसने लगा
………..
मै दिदीकी साड़ी हटा कर पूरा नंगा करना चाहता था।
लेकीन दिदीकी सासु मा आने का डर था।
ईसलिये मैने दिदीकी साडी उसके शरिर पे रहेने दी।
और दिदीकि नंगी चुत के साथ खेलने लगा।
फ़िर मै उसके बदन पर हाथ फेरने लगा।
दिदी बोली – रवी ! बड़ा मज़ा आ रहा है।
मैं बोला- अभी तो असली मज़ा
आना बाकी है मेरी जान ……… मैं ऊँगली से उसकी चूत के
साथ खेलने लगा….
फ़िर मैने दिदी की चूत में एक झटके से लंड डाला।
मुझे पता था कि दिदी को दर्द नही होगा,
क्युंकी मेरी दिदी आज तक ना
जाने कितने लंडोंसे खेल चुकी थी।
सो मैंने मेरा लंड एक्दम से
दिदी की चुत मे से घुसा दिया।
एक पल के लिये दिदीका मुह खुल गया।
उसने अपने ओठ काटे और मजे लेने लगी।
मै उसके मम्मों को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा।
इसी के साथ एक हाथ उसकी चूत
के ऊपर घुमाने लगा। अब दिदी पागलों की तरह मचलने लगी। ैं भी नीचे से उसकी कमर
पकड़कर शॉट लगाने में जुट
गया।
उसके उछल रहे मम्मों को हाथ
से पकड़ कर मसलने लगा।
चुदाई करते वक्त हम एक
दुसरे को चुम रहे थे।
फ़िर मैंने पीछे से लंड को
दिदी की लपलप करती चूत पर
लगा दिया।
दिदी एकदम से मस्त हो गई थी,
मैं भी जोश में आ गया था।
उसकी कमर पकड़कर एक के बाद
एक तगड़े शॉट लगाने शुरू कर
दिए।
फ़िर मैने मेरे लंड को
दिदीकी चुत से बाहर निकाला,
और दिदी कि मुह पर घुमाने
लगा।
मेरे लण्ड को देख कर दिदी
बोली-
ये पिछली बार से थोड़ा बड़ा और
मोटा कैसे हो गया है?
मैं बोला- मेहनत हुई है इसके
साथ..।
दिदीने मेरा लंड अपनी चुत
मे घुसा लिया,
और धीरे-धीरे अंदर-बाहर
करने लगी।
उसको ऐसा करते हुये बहुत
मज़ा आने लगा।
और वो गाण्ड उठा-उठा कर मेरा
साथ देने लगी।
इस पोज़िशन में चोदते हुए
कुछ समय हो गया था..
तो मैंने उसे उठाया और
ड्रेसिंग टेबल के सामने ले
गया,
उसका एक पैर ड्रेसिंग टेबल
पर रखा और एक नीचे को
थोड़ा सा झुकाया और शीशे
में देखते हुए उसकी
चूत में लण्ड पेल दिया।
मुझे शीशे में उसके फेस के
एक्सप्रेशन्स और उसकी
हिलते हुये मम्मे
नज़र आ रहे थे। और मेरा मज़ा
दो गुना हो रहा था।
इसी पोज़िशन में मैने
दिदीको कुच देर चोदा।
फ़िर दिदी बोली, “मैं झड़ने
वाली हूँ।”
अब मैं भी झड़ने के ही करीब
था।
तो मैंने भी दिदीको कहा- “बस
मैं भी झड़ने वाला हूँ।
कहाँ निकालूँ?”
तो दिदी बोली- “चूत में ही
निकाल दो।”
वो लण्ड को मसलने लगी और मैं
उसकी चूचियों को।
वो भी पूर्ण सन्तुष्ट हो
चुकी थी और मैं भी।
हमारी चुदाईके 10-15 मिनिट बाद
दिदी की सासू माँ
चिकन ले कर आ गयी। और दिदीको
बोली जल्दीसे पका दे,
सब मिलकर खाना खायेंगे और
फ़िर तुम लोग चले जाना।
दिदीने ठीक है बोला और वो
चिकन पकाने लगी।
आधे घंटे मे खाना तय्यार हो
गया। हम तिनोंने खाना खाया।

खाने के बाद हम दोनो निकल
पडे।
कुछ देर बाद दिदी और मै
बसस्टोप पर खडे थे।
कुछ देर मे बस आ गयी।
हम लोग गाडी मे चले गये।
दिदी विंडो शिट ढुंड रही
थी।
लेकिन ऐसी कोइ शिट खाली नही
थी।
एक जगहपर विंडो के पास एक
हट्टा कट्टा लडका बैठा था।
उसके बाजु मे दो शिट खाली
थी।
लडके की बाजु मे मै बैठ गया।

और मेरी बाजू मे स्वातीदिदी
बैठ गयी।
गाडी चालू हो गयी।
अब तक सब कुछ ठिक था।
थोडी देर बाद अगला स्टोप आ
गया।
वहा पर गाडी मे गर्दी हो
गयी।
दिदी की बाजू मे कुछ आवारा
टाईप के लडके आ कर रुक गये,
जैसे ही गाडी चालू हो गयी- ये
लडके दिदीको छेडने लगे।
ये बात मेरी समझ मे आ गयी।
मैने स्वातीदिदी को मेरे और
मेरे बाजूवाले लडके के बिच
मे बिठा दिया।
ऐसे ही कुछ टाईम बित गया।
कुछ देर बाद मैने देखा
बाजूवाले लडके हात मेरी
दिदीकी हाथ पर रखा था।
मुझे लगा शायद गलती से हो
गया होगा।
ईसलिये मैने जादा ध्यान नही
दिया।
और वैसे भी दिदीको मैने
चोदकर संतुष्ट भी कर दिया
था।
ईसलिये उन दोनोके बिच कुछ
गलत होगा ऐसा मुझे नही लगा।
कुछ देर बाद मैने देखा वो
लडका मेरी दिदीके जांघ पर
हात फ़िरा रहा था।
और दिदी मजे ले रही थी।
कुछ देर बाद दिदीने थंडी का
बहाना बनाके बेग मे से शाल
निकलकर ओढ ली।
अपना पुरा बदन शाल के निचे
ढक लिया।
मैने मेरा एक हाथ शाल मे से
अंदर डाला
और मेरे साईड का बुब्स
दबाने लगा।
लेकीन दिदीने जो ब्लाऊस पहन
रखा था
ओ बहुत तंग था,
ईसलिये मुझे दिदीके मम्मे
दबाने मे दिक्कत हो रही थी।
ये बात दिदीको भी समझ रही
थी।
तो दिदीने शाल के अंदर अपना
ब्लाऊस उतार दिया।
अब दिदीके बडे बडे मम्मे
आझाद हो गये थे।
मै बडे मजेसे उसके मम्मे
दबाने लगा।
कुछ देर के बाद मैने दिदीका
दुसरा मम्मा दबाने के लिये
मेरा हात दिदीके दुसरे
मम्मे पर ले गया।
मैने महसुस किया की
बाजूवाला लडका
मेरी स्वातीदिदीका मम्मा
दबा रहा था।
पलभरके लिये मुझे दिदीका
बडा गुस्सा आया,
लेकिन मैने खुद पे काबू कर
लिया।
मेरी तरफ़ देखकर दिदी
मुस्कुरा रही थी।
मैने उसे कुच ना बोलते हुये
दिदीके मम्मे दबाना जारी
रखा।
कुच देर बाद दिदीने अपनी
टांगे उपर कर ली।
दोपहर मे जब मैने दिदीको
चोदा था
तबसे उसने निकर नही पहनी थी,

ये बात मुझे मालूम थी।
शाल के अंदर दिदीने अपनी
साडी कमर तक उपर कर दी।
अब दिदी के मम्मे के साथ साथ
चुत भी खुल्ली थ।
और हम उसकी चुत के साथ भी खेल
सकते थे।
मैने अपना हाथ दिदीकी टांग
पे रख दिया।
और एक उंगली दिदीकी चुत मे
अंदर बाहर करने लगा।
बाजुवाला लडका भी जोश मे आ
गया।
और उसने भी अपनी उंगली
दिदीकी चुत मे घुसा दी।
अब मेरी दिदी एक साथ दो
उंगलीयोंसे मजे लेने लगी।
क्या बताउ दोस्तो मुझे
कितना मजा आ रहा था।
एक चालू गाडी मे मेरी सगी
बहन के साथ मै एक गैर
लडके के साथ दिदीके चुत के
मजे ले रहा था।
दोस्तो ये कहाणी नही है
बल्की ये एक सच्ची हकीकत
है।
थोडी देर मे गाडी मे अंधेरा
हो गया।
पिछले आधे घंटे से हमारा
खेल चालू था।
अंधेरे का फ़ायदा लेते हुये
मेरी दिदी उस लडके

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