Saturday, 7 November 2020

सेक्स से बड़े नहीं रिश्ते

300*250
 आज मैं आपके सामने पेश कर रहा हूँ। ये कहानी कल की ही है। मैं दुर्गा पूजा में गाँव जा रहा था अपनी जवान बहन को लेकर और स्लीपर बस में हम दोनों से ही ये गलती हो गयी। मैं दिल्ली में रहता हूँ आजकल आपको भी पता है ट्रैन आसानी से उपलब्ध नहीं है। इसलिए बस से ही मैं दिल्ली से बिहार जाने के लिए तैयार हो गया। बस मुझे मजनू का टीला दिल्ली से मिला स्लीपर बस में टिकट लिए। ऊपर दो बर्थ मिल गया एक केबिन में। 
केबिन में सीट होने की वजह से पूरी प्राइवेसी थी कोई देख नहीं सकता था बस में। और बाहर से तो ऐसे भी अँधेरा हो गया था और बस में परदे लगे थे तो ऐसे भी अंदर बाहर से दिखाई नहीं दे रहा था। तो कोई डर नहीं था। अब मैं अपनी बहन के बारे में बताता हूँ।  मैं और मेरी बहन दोनों दिल्ली में रहकर पढ़ाई करते हैं दोनों कैंप में रहते हैं। तो दुर्गा पूजा में गाँव जाना था। क्यों की मम्मी पापा बोले की आना जरुरी है। मेरी बहन मेरे से एक साल छोटी है। नाम सपना है, मेरी उम्र बाईस साल है और उसकी 21 साल। मेरी बहन सेक्सी और हॉट है इसलिए मेरा भी दिल आ गया। कैसे क्या हुआ अब वही बता रहा हूँ।  मेरा बस वॉल्वो शाम के करीब 6 बजे दिल्ली से चली। रात के करीब 10 बज गए थे आगरा आते आते दोनों ने ताजमहल बस से ही किया तो मेरी बहन बोली कितना प्यार करता था ये बादशाह अपनी बेगम को जिसकी याद में इतना बड़ा ताजमहल बना दिया। यही सब बात हो रही थी। बस में सब लोग सोने जा रहा थे आधे तो सो भी चुके थे बस तेजी से भाग रही थी।  मेरी बहन बोली सोने का टाइम हो गया तो कैसे सोया जाय। तो मैं बोलै यहाँ क्या कोई बेड है क्या सो जाओ आज रात इसी केबिन में सोना है चाहे जैसे सोएं। मैं लेटा हुआ था। तो वो भी लेट गयी कम्बल एक था। तो हम दोनों ने ओढ़ लिया। करीब आधे घंटे बाद मेरी बहन को शायद नींद आ गई थी या नहीं कह नहीं सकता। पर मैं सोया नहीं था नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर हॉट सेक्सी कहानी पढ़ रहा था जिससे मेरा लौड़ा खड़ा हो गया था। मैं अपने लंड को सहलाते हुए कहानियां पढ़ रहा था अचानक मेरी बहन की गांड मेरे लंड से सट गया।
अब या बताऊँ दोस्तों चौड़ी उभार भरी गांड जब गरम लंड से सट जाये तो क्या होगा आपको भी पता होगा।मैं तो पागल हो गया। मैं रोकना चाह रहा था तो थोड़ा हट गया पर मेरी बहन फिर से अपनी गांड मेरी लंड में सटा दी। अब मेरे बर्दास्त के बाहर हो गया और जब बस चलती तो और भी दोनों के जिस्म सट रहे थे।
मैं पागल हो गया और फिर सोचा जो होगा देखा जाएगा। आज बहन भाई का रिस्ता गया तेल लेने और मैं टांग चढ़ा दिया उसके गांड पर। फिर भी मेरा मन नहीं मान रहा था। अब मैं और सट गया और बहन की चूचियां हौले हौले से सहलाने लगा। अब मैं पागल होने लगा था। लंड मोटा हो चूका था लम्बा हो चूका था। मैं धीरे धीरे हिम्मत करते उसका टॉप ऊपर कर दिया और फिर ब्रा के ऊपर से चूचियों को दबाने लगे। वो चुपचाप ही थी। मैं अब गांड सहलाने लगा। अब लग रहा था मेरे पुरे शरीर में आग लग गई थी मेरी धड़कन तेज हो गयी थी। उसके बाद मैं उसका पेंट निचे रखा दिया और फिर पेंटी भी। तब तक वो सो ही रही थी | अब धीरे धीरे मैं उसके ब्रा के हुक को खोल दिया और आगे से फिर चूचियों को अपने हाथ में ले लिया। मेरी बहन उफ़ करके मेरे से और भी ज्यादा सट गयी और अपना पैर मेरे ऊपर कर दी। अब मैं अपने लंड को बाहर निकाल लिया। अन्धेरा था तो बूर पर हाथ फेरा तो महसूस किया। मेरी बहन की बूर गीली हो चुकी थी। मैं समझ गया की मेरी बहन जगी हुई है।
 क्यों की ऐसे बूर गीली नहीं होती जब तक चुदाई का मन नहीं कर रहा हो। अब मैं अपना लंड उसके बूर पर रखा और घुसाने की कोशिश करने लगा। पर अंदर जा ही नहीं रहा था। बस हिल जाती। करीब पांच मिनट तक परेशां होता रहा फिर भी मैं बूर में लंड नहीं घुसा पाया। पर जोश काफी ज्यादा बढ़ गया था।
तभी मेरी बहन सीधी हो गयी और अपना पेंटी जो की घुटनो तक था उतार दी। केबिन बंद था। फिर उसने कहा ऊपर आ जाओ. ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह क्या बताऊँ दोस्तों। मेरी बहन चुदाई के लिए आमंत्रित कर दी। मैं तुरंत ही उसके ऊपर चढ़ गया। और दोनों पैरों को उसने खुद ही अलग अलग कर दिया मैंने अपना लंड उसके बूर पर लगाया और जोर से घुसा दिया।
मेरी बहन आआह आह आह आह ओह्ह्ह ओह्ह्ह आवाज निकालने लगी और अंदर बाहर लंड लेने लगी। मैं चूचियों को मसलते हुए जोर जोर से धक्के देने लगा। होठ चूसने लगा मेरी बहन मुझे सहलाती हुई। गांड घुमा घुमा कर मेरा लंड अंदर लेने लगी और मैं जोर जोर से चोदने लगा. करीब आधे घंटे तक मैंने उसको चोदा फिर मैं झड़ गया। और फिर दोनों एक दूसरे को करीब होक होठ को चूसने लगे। करीब एक घंटे बाद हम दोनों फिर से तैयार हो गए इस बार मेरी बहन मेरे ऊपर चढ़ गयी और खुद ही मेरे लंड को पकड़ कर अपनी बुर में डाली और फिर चुदवाने लगी।
रात भर ऐसा ही चलता रहा। और हम दोनों बहन भाई एक दूसरे को खुश करते रहे। आज ही गाँव पहुंचे हैं और शाम को कहानी लिख रहे हैं
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