Wednesday, 25 June 2025

बुआ की लड़की कीचुदाईपहली रात को

बुआ की लड़की कीचुदाईपहली रात को

 

यह कहानी मेरी और मेरी बुआ की लड़की की है।
माय सेक्स विद सिस कहानी आज से चार साल पुरानी है।

उस समय मेरी उम्र 19 साल थी, और मैंने जवानी में कदम रखा था।

मेरी बुआ की लड़की का नाम ललिता है।
उसकी उम्र अभी 22 साल है।
उसकी लंबाई थोड़ी कम है लेकिन उसका कामुक शरीर किसी का भी लंड खड़ा कर सकता है।
उसका फिगर 36-30-34 है।

बात उस समय की है जब मैं अपने मामाजी के घर पर रहता था।

मैंने पढ़ाई पूरी कर ली थी और जॉब शुरू कर दी थी।
मेरी जॉब वहाँ से थोड़ी दूर थी।

मेरी बुआ ने कहा, “यहीं रहने आ जा, मनीष! यहाँ से तो तेरी जॉब बस 1 किलोमीटर दूर है।”

बस, फिर क्या था? मैं बुआ के घर रहने चला गया और वहीं से जॉब पर जाने लगा।

बुआ के परिवार में बुआ, उनके पति, एक लड़का और दो लड़कियाँ थीं।
बड़े लड़के और बड़ी लड़की की शादी हो चुकी थी।
छोटी लड़की, यानी ललिता, अभी बाकी थी।

वैसे तो मैंने कभी ललिता को गलत नजर से नहीं देखा था।
लेकिन एक दिन की बात है, जब सर्दी का मौसम था।

उस रात सब लोग सो रहे थे।
बुआ का लड़का, ललिता और मैं बीच वाले कमरे में सो रहे थे।
बुआ और उनके पति अंदर वाले कमरे में थे।

सर्दी बहुत थी, तो सब कंबल ओढ़कर सो रहे थे।
ललिता मेरे पास ही सो रही थी और उसका भाई उसकी दूसरी तरफ था।

रात के 12 या 1 बजे होंगे।
सब लाइटें बंद थीं।

अचानक मेरी नींद खुल गई।
मुझे नींद नहीं आ रही थी।

बाहर जाने की सोची, लेकिन ठंड बहुत थी।
इसलिए मैं बिस्तर में ही लेटा रहा।

तभी अचानक ललिता ने अपना पैर मेरे पैर के ऊपर रख दिया।
मैंने उसकी तरफ देखा।
उसकी नाइट टी-शर्ट उसके बूब्स तक ऊपर चढ़ गई थी।

मैं उसे देखता रहा।
माय सेक्स विद सिस का ख्याल मेरे मन में आया और मेरे लंड में तनाव आने लगा, जैसे वह मेरे नाइट पैंट को फाड़कर बाहर आ जाएगा!

वह गहरी नींद में थी।
फिर मैंने थोड़ी हिम्मत करके अपना हाथ उसके बूब्स पर रख दिया और धीरे-धीरे दबाने लगा।

आह्ह्ह! कितने मुलायम थे उसके दूध! मैं उन्हें सहलाता रहा।

तभी वह अचानक सीधी लेट गई।
मैंने अपना हाथ वैसे ही रखा, ताकि उसे लगे कि मैं नींद में हूँ।

थोड़ी देर बाद मैंने उसका पेट सहलाते हुए अपनी उंगलियाँ उसकी टी-शर्ट के अंदर डाल दीं और धीरे-धीरे उसके बूब्स की तरफ बढ़ने लगा।
हम सब रात में नाइट ड्रेस पहनकर सोते थे।
उसने ढीला लहंगा और टी-शर्ट पहनी थी।

मैंने धीरे-धीरे अपना हाथ उसके बूब्स तक पहुँचाया।
फिर उसकी टी-शर्ट को ऊपर तक उठा दिया और उन्हें सहलाने लगा।

तभी उसने करवट बदली और मेरी तरफ मुँह करके सो गई।

मुझे समझ आ गया कि वह सोने का नाटक कर रही है!

मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया।
फिर मैंने अपना हाथ उसके लहंगे में डालना शुरू किया, उसका नाड़ा खींचकर मैंने लहंगा नीचे सरका दिया और फुफेरी बहन की चूत पर हाथ रख दिया।

वह सिहर उठी!
उसने मेरे लंड को जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया।
मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने पैंट के अंदर डाल दिया और सहलाने को कहा।

वह मेरे लंड को सहलाने लगी।
मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उसे चूमना शुरू कर दिया।
वह भी मेरा पूरा साथ देने लगी।

मेरा एक हाथ उसके बूब्स पर था और दूसरा उसकी चूत पर।

उसकी चूत गीली हो चुकी थी।
मुझे अपने हाथ पर उसका एहसास हो रहा था।

मैंने उससे कहा, “ललिता, मेरा लंड चूसो!”
वह मना करने लगी।

तब मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया, वरना सारी रात मुझे ऐसे ही सोना पड़ता।

उस रात जल्दबाजी में चुदाई करनी पड़ी थी।

फिर मैंने उसका लहंगा बिस्तर में ही पूरा नीचे कर दिया।

मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और उसकी टाइट चूत, जो पहले से गीली थी, पर रगड़ने लगा।

वह मुझे कसकर पकड़कर बोली, “मनीष, मुझे और मत तड़पाओ!”

मैंने देर न करते हुए अपने लंड को उसकी चूत पर रखा और धीरे-धीरे दबाने लगा।
लंड धीरे-धीरे अंदर जाने लगा।

वह चीखने वाली थी लेकिन मैंने तुरंत उसे चूमना शुरू कर दिया ताकि उसकी चीख बाहर न आए।

बस, फिर क्या … मैंने सोते हुए ही उसकी चूत को खोदना शुरू कर दिया।

थोड़ी देर में वह झड़ने वाली थी।
वह मेरे कान में बोली, “मनीष, मैं झड़ने वाली हूँ!”

वह जोर-जोर से कामुक आवाजें निकाल रही थी।
फिर वह झड़ गई।

मैंने अपनी चुदाई जारी रखी।

जब मेरा होने वाला था, मैंने पूछा, “ललिता, कहाँ निकालूँ?”

वह बोली, “अंदर ही निकाल दो! बाहर निकाला तो बिस्तर खराब हो जाएगा!”

मैंने 10-15 जोरदार धक्के मारे और मैं भी झड़ गया।
फिर हम थोड़ी देर तक ऐसे ही किस करते रहे।

सुबह जब हम उठे, तो हमने ऐसे व्यवहार किया जैसे रात को कुछ हुआ ही नहीं।

Sunday, 22 June 2025

सगे मामा की जवान बेटी

सगे मामा की जवान बेटी

 

मैंने और मेरे मामा की लड़की शोभा ने कभी सपने भी नहीं सोचा था कि हमारे बीच में यह सब शुरू होगा और हमेशा चलता भी रहेगा.
रिश्तों में चुदाई की कहानी मैंने भी आज तक पढ़ी तो थी पर कभी सोचा ही नहीं था कि यह सब मेरे साथ भी हो जाएगा.

जैसा कि शोभा नाम से आपको समझ आ गया होगा कि वह मेरे सगे मामा की बेटी है और वह उनकी इकलौती बेटी है.

शोभा की उम्र अभी 20 साल है.
वह दिखने में बहुत सुन्दर हॉट और आकर्षक है. उसका फिगर भी बहुत मदमस्त है. वह बहुत ही ज्यादा गोरी और तीखे नयन नक्श वाली है … और सबसे बड़ी बात यह कि वह अभी कुंवारी माल है.


मैं अपने मामा के यहां आया हुआ था.
मामा एक बेटा है जो अधिकतर घर से बाहर दूसरे शहर में रहता है.

मैं मामा घर पर आता जाता रहता था.
उनकी लड़की शोभा मुझसे उम्र में 10 साल छोटी थी
हमारे पास एक दूसरे के मोबाइल नंबर थे जो कि हमारे रिश्ते में साधारण ही बात थी.

वह मुझे देखती, मैं भी उसे देखता था.
यह बात अभी बस देखने तक ही सीमित थी, ना तो उसने कुछ रिएक्ट किया था और ना ही मैंने कभी उससे कुछ कहा था.

वह मुझे दिखने में एक मस्त माल लगती थी तो इतना मैं जरूर सोचता था कि यह चोदने लायक माल है!

मेरे पास खुद की कार थी.
जब भी मैं मामा के घर जाता और उधर से मैं जिधर भी जाता, उसे अपने साथ लेकर जाता था.

मैं मन ही मन उसे पसन्द करने लगा था और उसके पास जाने के बहाने ढूंढने लगा था.

वह भी धीरे-धीरे समझने लगी थी कि मेरे दिल में उसके लिए कुछ तो है!
हम एक दूसरे से खूब बातें करते थे, समय देते थे और रोज रात में एक दूसरे से चैट पर बात करते थे.

वह कालेज में पढ़ाई करती थी.

मैंने उसके साथ अपनी सैटिंग जमाने के लिए एक बहुत पुराना स्टाइल उस पर आजमाया.

एक दिन मैंने उससे चैट पर बात करते करते पूछा- तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है?
उसने कहा- हमारे कॉलेज में लड़के नहीं हैं.
वह गर्ल्स कॉलेज में पढ़ती थी.

मैंने कहा- क्या सच में तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है?
उसने साफ मना कर दिया और कहा कि 12वीं कक्षा में था, पर उससे इतना ज्यादा दिन तक रिश्ता नहीं चला था, पर अभी कोई नहीं है.

हम दोनों के बीच रोज रात को चैट पर लगभग हर तरह की बात होती थी तो मैंने हिम्मत करके उससे कहा- अगर कोई और तुम्हारी जिंदगी में आना चाहे, तो क्या तुम उसे अपने दिल में जगह दोगी?
उसने कहा- पहले मालूम तो चले कि वह है कौन?

मैंने कहा- पहले तुम बताओ तो कि जगह खाली है भी या नहीं?
उसने कहा- ऐसे क्या जवाब दूं?

शोभा को मेरे ऊपर थोड़ा शक हुआ कि मैं शायद उससे अपनी बात कर रहा हूँ.

कुल मिला कर शोभा ने कोई ठीक सा जवाब नहीं दिया हालांकि यह अनुमान लग गया था कि वह मुझे पसन्द करती है.
यह जानने के बाद ही तो मैंने उससे यह सब पूछा था.

उस समय मैंने बात खत्म कर दी और अपने भोपाल जाने की बात कह कर पूछ लिया कि तुम्हें कुछ मँगवाना हो तो बता देना!
वह बोली- भोपाल से वापस कब आओगे?

मुझे दो-तीन दिन बाद आना था, तो मैंने उसे बता दिया.
उसने मुझसे कह दिया था कि मुझे कुछ नहीं मंगवाना है.

मैं भोपाल गया तो बाजार से उसे वीडियो कॉलिंग पर गिफ्ट आइटम्स की दुकानें दिखा रहा था.
वह मना करती रही और उसने अपने लिए कुछ भी लाने से इंकार कर दिया.

बाद में मैं वापस आते वक्त अपने हिसाब से उसके लिए सिल्वर रिंग लेकर आया था.
अब इस गिफ्ट से हम दोनों एक दूसरे के बहुत करीब आ गए थे और काफी ओपन होकर घुल-मिल गए थे.

वापस आने के बाद मैं अपने काम में व्यस्त रहा और पूरा दिन निकलने के बाद जब हमने रात को फिर से बात शुरू की, तो इसी मुद्दे को आगे बढ़ाया.

तब उसने वही मुझसे पूछा- तुम किसे पसन्द करते हो?
मैंने कहा- हां कोई है, पर वह मुझे पसंद करती है या नहीं, यह पता नहीं है.

उसने फिर से कहा- कौन है, बताओ तो!
मैंने फिर वही कहा- यार अभी कैसे किसी के लिए कुछ कह सकता हूँ. मैं कहूँ कि मुझे आलिया भट्ट पसंद है तो इसका मतलब यह तो नहीं है कि आलिया भट्ट भी मुझे पसंद करे!

अंत में वह पीछे ही पड़ गयी- बताओ बताओ कौन है?
मैंने सोचा कि अब सही समय है.

मैंने कहा- मैं शोभा को पसन्द करता हूं!
उसने कहा- शोभा तो मैं ही हूँ!
मैंने कहा- हां, मैं तुम्हें ही पसंद करता हूँ!

वह ये सब चैट पर सुनकर एकदम से चौंक गयी और कुछ पल के बाद बोली- सोचना पड़ेगा!
मैंने कहा- कितना समय चाहिए?
तो वह बोली- पता नहीं!

अगले दिन मैंने वीडियो कॉल पर उसे वही रिंग दिखाई तो उसे पसन्द आयी.
यह थोड़ी महंगी थी तो उसने मना किया.
लेकिन मैंने कहा- पैसे मैंने दे दिए हैं … तुम वह सब कुछ नहीं सोचो!

मैं अपनी जिद करके रिंग ले आया था और मामा के घर आकर उसे पहना दी, वह खुश हो गयी.
उसने कहा- मैं तुम्हें थोड़ा थोड़ा पसन्द करती हूँ!

धीरे धीरे हम दोनों और ज्यादा करीब आने लगे.
मैं मामा के घर ही रुका रहा. जब तक मैं उधर रुका रहा, उसे रोज अपने पास बुलाता था, वह मना नहीं करती थी.

हमारी शुरूआत चुंबन से हुई थी.
वह मेरे साथ चुंबन से बहुत खुश थी और खुल गई थी.

अब मैं मामा के घर ही उसे अकेले में पकड़ लेता और उसके दूध दबा लेता, उसके होंठों को खूब चूमता.

इस तरह से मैंने उसके होंठों को खूब चूसा और मम्मों को भी खूब दबाया.
वह भी मुझे अपनी बांहों में लेने लगी थी.

मैंने धीरे धीरे उससे सेक्सी चैट करना शुरू कर दिया था.

पहले तो उसने चुदाई करवाने की हां नहीं की थी, मैंने उससे ये भी कहा था कि मैं तुम्हारे साथ कुछ भी करूंगा, तो मैं सम्भाल लूंगा.

दरअसल वह प्रेग्नेंट होने से डर रही थी, इसलिए मैंने उसे विश्वास दिलाया कि तुम मेरे साथ हर तरह से महफूज हो.

उसके मम्मों को मैं रोज दबाने और चूसने के सपने देखता था, अब वे मेरे मुँह में आने लगे थे.
मैं रोज उसके बूब्स को दबाता और उन्हें चूमता. उसके निप्पलों के रस को भी मैंने खूब पिया.

हम दोनों एक साथ बेड पर बैठते, तो मैं अपना खड़ा लौड़ा उसके हाथ में दे देता, वह लंड को मसलने लगती.
पर इससे आगे मामला बढ़ नहीं पा रहा था.

दरअसल हमें अच्छा मौका नहीं मिल रहा था क्योंकि घर पर मामा मामी रहते थे तो मामला सैट नहीं हो पा रहा था.

अब तक हम दोनों एक दूसरे को बहुत चाहने लगे थे और दोनों ही हर वक्त एक दूसरे के ख्यालों में खोये रहते थे.
हम दोनों में प्यार बढ़ता जा रहा था.
समय बीतता गया.

थोड़े दिन बाद मुझे कहीं जाना था, तो मैं जाने लगा.
मेरी मामी की बहन का घर इसी रास्ते में पड़ता है तो मैंने शोभा को फोन लगाया.

उस दिन मेरी मामी और शोभा दोनों वहां पर आयी हुई थीं.
तो मामी ने कहा- तुम जाते वक्त इधर से हमें लेकर चले जाना और हम दोनों को हमारे घर छोड़ देना.
मैंने हां कर दी.

मैं अपनी गाड़ी लेकर शाम के 8 बजे तक मेरी मामी की बहन के घर पहुंच गया.
मैंने शोभा को देखा, वह बहुत खुश हुई और मैं भी उसे देख कर खुश हो गया था.

रात होने लगी तो मामी की बहन ने कहा- सुबह चले जाना, रात यहीं रुक जाओ!
मैंने सोचा कि शोभा से बात करने का मौका मिला है, तो रुक जाता हूँ!

तब मैंने रात रुकने के लिए हां कर दी.

उधर एकांत मिला तो हम दोनों बहुत देर तक एक दूसरे को निहारते रहे.
कुछ दिन बीती पुरानी यादें आने लगी थीं, पर कसम से मुझे भी और उसे भी पता नहीं था कि भगवान इतना अच्छा मौका देने वाला है!

रात हो गयी थी, सबने खाना खा लिया था.
मामी और उनकी बहन काफी दिनों बाद मिली थीं तो वे एक साथ सो गयी थीं.

वह सर्दी का मौसम था.
शोभा के मौसा जी उस दिन घर पर नहीं थे, वे किसी शादी में गए थे.

मौसा जी का लड़का अलग कमरे में सोया हुआ था और मौसी की छोटी बेटी अभी छोटी थी तो वह, मैं और शोभा तीनों एक कमरे में अलग अलग पलंग पर सो गए थे.

उस कमरे में बहुत अंधेरा था, इतना ज्यादा अंधेरा कि हम दोनों भी एक दूसरे को नजर नहीं आ रहे थे.
रात के करीब 10.30 बजे तक शोभा की मौसी की लड़की सो गयी थी.

तब तक परिवार के सभी सदस्य गहरी नींद सो चुके थे.
बस हम दोनों की आंखों से नींद गायब थी.

मैंने सर्दी के कारण दरवाजा बन्द कर दिया था.

अचानक शोभा ने अपना हाथ मेरे ऊपर रखा तो मैं खुश हो गया.
मैंने भी उसका हाथ पकड़ लिया.

दोनों एक दूसरे के हाथ सहला रहे थे. मैंने सीधा अपना मुँह उसकी ओर घुमाया और उठकर अपना सिर उसके मम्मों पर रख दिया.
मैं आधा अपने पलंग पर था और शरीर का आधा हिस्सा उसके मम्मों पर रख दिया था.

उसने मुझे किस किया, मैंने भी अपने दोनों होंठों को उसके होंठों से मिला दिया.
हम दोनों ने खूब देर तक किस किया.
जिन बूब्स को देख देखकर मैं सपने में हिलाता था, वे दोनों दूध आज मेरे मुँह में थे.

मैं 20 मिनट तक उसके दोनों दूध कर आनन्द लेता रहा.
कभी उनको चूमता, कभी चाटता तो कभी चूसता, कभी दोनों निप्पल एक साथ मुँह में ले लेता. मेरा लौड़ा पूरे तरीके से खड़ा था.

मेरी मामा की बेटी के दूध काफी बड़े बड़े हो गए थे.
मैं उसके दोनों मम्मों को चूसकर बहुत कामुक हो गया था.

शोभा भी कामुक सिसकारियां ले रही थी; उसे बहुत मजा आ रहा था.

उस वक्त ऐसा लग रहा था मानो हमारी सुहागरात शुरू हो गयी हो.
कुछ देर बाद मैंने शोभा के कान में धीरे से कहा- मुझे तुम्हारा खज़ाना चूसना है!

मेरा इशारा उसकी बुर चूसने से था.
उसने कहा- मैं कब मना कर रही हूँ!

इतना बोलते ही मेरा मुँह उसके पजामे के अन्दर पहनी काले रंग की पैंटी में चला गया.
मैंने उसका पजामा व पैंटी दोनों को एक साथ उतार दिया था और ब्रा भी.

अब वह मेरे साथ बिना कपड़े के मेरे बिस्तर पर थी मानो उसे जन्नत मिल गयी हो.

करीब दस मिनट तक मैंने उसकी चूत को चूसा व अपनी जीभ भी उसकी बुर में डाली.
वह ‘आह आ आ आह आहह आ’ कर रही थी. उसे बहुत मजा आ रहा था.

अब वह पूरे तरीके से गर्म थी.
फिर मैं ऊपर को खिसका और पूरा लंड उसके मुँह में दे दिया.

उसने मुझसे मुँह हटा लिया और बोली- पागल हो क्या … इतना बड़ा कैसे एक साथ मुँह में लूँगी?
मेरे लंड का आकार सवा सात इंच है.

फिर मैंने कहा- चलो धीरे धीरे लो!
वह मुँह में लेती रही, मुझे भी आनन्द आने लगा.

अब उसे चुदने की और मुझे चोदने की चुल्ल होने लगी थी.
मुझे उसकी चूत और उसे मेरा लम्बा लौड़ा चाहिए था.

मैंने भी अपने सारे कपड़े उतारे और अपने लंड को पकड़ कर सीधा शोभा बहन की बुर में डाल दिया.
लंड लेते ही शोभा की आह निकल गयी.

शोभा कराह कर बोली- ओय मम्मी … आआह, मुझे दर्द हो रहा है आह बहुत तेज दर्द हो रहा है!
यह बात सुनने के लिए मेरे तो कान तरस गए थे.
मेरा पूरा लंड शोभा की मस्त चूत में था.

शोभा की चूत गीली हो गई थी.
मैं उसके ऊपर लेटा हुआ था, वह मेरे नीचे थी.

जोर जोर से मैं उसकी चूत चोद रहा था और साथ में उसके मम्मों को बेरहमी से चूस रहा था. और सेक्स का मजा ले रहा था.

ऐसा करते हुए मैंने शोभा को 20 मिनट तक चोदा.
फिर वह भी झड़ गयी, मैं भी झड़ गया.

मैंने उस रात शोभा को 4 बार चोदा.
हर बार उसे नई सेक्स पोजीशन में चोदा.
वह चुदाती रही, मैं चोदता रहा.

सुबह के 4 बज गए थे.
तब तक शोभा को मैंने अच्छे से रगड़ लिया था, फिर हम एक दूसरे के गुडनाईट किस करके सो गए थे.

तब से लेकर आज तक मैंने शोभा को होटल, किचन में, रूम में, घर की छत पर, बाथरूम में हर जगह चोदा.
वह आज भी मेरे लंड की दीवानी है और मैं उसके बूब्स और चूत का दीवाना हूँ.

Monday, 5 May 2025

प्यार घर का

प्यार घर का

 

मैं और मेरी बहन साथ-साथ रहते थे। मेरे पापा और मम्मी दोनों मर चुके थे, जब मैं 10 साल का था, और बहन लगभग 5 साल या उससे बड़ी उम्र की थी। 6 साल तक मैं पड़ोस अंकल के घर बड़ा हुआ। बड़ा होकर मैं कुछ काम करने लगा। काम करते-करते गर्मियों में फल और जूस बेचने लगा।

धंधा अच्छा चल निकला। रोज का कम से कम 2500/- रु या उससे ज्यादा होने लगा। ठेले और मशीन का कोई खर्च था नहीं, तो टोटल पैसे मेरे थे। मैंने अलग घर लिया और बहन के साथ रहने लगा। मैंने एक मोबाईल खरीदा और साल भर जाते जाते मैं मोबाईल में पार्न फिल्म पार्न कहानी देखने लगा। ऐसे दो साल कट गये।

कहानियों में मैंने भाई बहन को पटा कर चोदता था की कहानी पढ़ कर मेरा दिमाग भी खराब होने लगा। अब बहन को खेल-खेल में उसकी चूची पकड़ता, दबाने लगा, क्योंकि बहन जवान थी मस्त 18 साल की थी। उसकी चूची भी मस्त बड़ी बड़ी थी हृष्ट-पुष्ट जवान लड़की जैसी। नाक-नक्श सुन्दर, हाथ-पैर पुष्ट सुन्दर‌ थे, और देखने से बड़ी सुन्दर माल दिखती थी।

मैं चूची पकड़ता और दबाता था। गोद में बिठाता था। मगर चोदता नहीं था। बहन गर्म हो जाती होगी मुझे नहीं मालूम।

ऐसे करते-करते एक दिन बहन बोली: भैया, आप मुझे गोद में बिठाते हैं और अपना वीर्य अपने लंड से निकाल लेते हैं। मगर मेरा क्या? मेरी चूत का पानी गिरता रहता है।

बहन और मैं अकेले रहते थे। एक ही कमरे में लिपट कर सोते थे, तो आपस में बोल चाल में क्लीयर और फ्रैंक थें।

मैं बोला: देख नीरू।

मेरी बहन का नाम निर्मला है। प्यार से मैं उसे नीरू बोलता हूं।

मैं बोला: देख नीरू, तूं मेरी बहन है। मैं तुझे चोद नहीं सकता।

बहन बोली: कहानी में भाई बहन चोदा-चोदी करते हैं।

मैं बोला: चोदने का मन मेरा भी करता है, मगर मैं डरता हूं।

उसके बाद बहन मुझे बहुत बार उकसाती रही, मगर मैंने नहीं चोदा। बहन बाहर भी किसी से नहीं चुदवायी। ऐसे दिन कटते रहे, और मेरी शादी एक सुन्दर खूबसूरत लड़की से हो गयी। वह लड़की पास में ही रहने वाले एक सेठ के यहां काम करती थी। गरीब लड़की थी। उसके साथ उसके मां-बाप और एक भाई था। भाई आवारा लोफर था। कई-कई दिन बोलिए महीनों तक घर नहीं आता था।

मां-बाप का खर्चा मां और बेटी चलाती थी। बाप बीमार‌ ही रहा करता था। जब मेरी शादी हुई, तब सुहागरात के लिए घर सजाया, और घर में पकवान बनाये। रात 9 बजे मैं बीवी के कमरे में गया। एक ही कमरा था तो मैं और मेरी बीवी कमरे में थे। बहन कमरे से बाहर बिस्तर लगायी थी।

मैंने बीवी को बहुत प्यार किया, चुम्बन लिया, उसका बदन सहलाया, लिपटा-लिपटी की, सब किया। पहले बीवी की चूची दबाते-दबाते उसे नंगा कर दिया। बीवी ठंडी चुप-चाप सहनशील थी। जब बीवी की चूत सहलाने लगा, चाटने लगा तब बीवी बोली-

बीवी: देखिए जी, आज मत चोदिए। प्लीज नहीं कीजिए, चूत में हालत खराब है।

मैंने पूछा: क्या हुआ?

बीवी चुप थी।

मैंने बार-बार दोबारा बीवी से प्यार से पूछा: बोलो ना क्या हुआ?

बीवी बोली: आज सेठ जी दस बार मेरी बुर चोदे है, तो हालत खराब है।

मैं बोला: आज हम दोनों की सुहागरात है। आज तो चोदना ही पड़ेगा।

और मैं उसकी चूची दबाने लगा।

वह बोली: नहीं जी प्लीज़, मेरी हालत खराब है।

मैंने बीवी का हाथ अपने लंड पर रखा। मेरी बीवी मेरा लंड दबाने और सरकाने लगी।

मैं बोला: मेरा लंड खड़ा है, आज तो यह घुसेगा।

बीवी बोली: नहीं जी, मान जाईये, उपर-उपर से करके छोड़ दीजिए। मैं आपका लंड हाथ से हिला के गिरा देती हूं।

मैं बोला: नहीं आज चूत चाहिए।

तब बीवी बोली: अपनी बहन को कर लीजिए। बहन की चूत में गिरा लीजिए।

मैं सकपका गया और अचम्भित रहा।

मैं बोला: बहन को आज तक नहीं चोदा है। बहन भी किसी से नहीं चुदवाती है।

बहुत डिस्कशन बीवी के साथ हुआ बहन और भाई पर मगर वह बोली: आप अपनी बहन को भेज दीजिए, मैं मना लूंगी।

डेढ़ घंटा बीवी और मेरी बहन डिस्कस की। क्या बात हुई, मुझे आज तक नहीं मालूम। डेढ़ घंटे बाद बीवी आवाज़ दी। मैं कमरे में गया तो बहन को बिना कपड़ों में पाया। बहन नंगी थी, बीवी भी नंगी थी। बहन की कुंवारी चूत देख कर मेरा लंड टनटना गया। मैंने बीवी के पास बैठी बहन को साईड से दबोच लिया।

बहन को पूछा: मेरा लंड लेगी?

बहन मुझे देख कर मुस्कुरायी। मैं बहन की चूची दबाने लगा। चुम्बन लिया बहन को और बीवी को।

बीवी बोली: चोदिए बहन को, वो आपका लंड लेगी।

चूची छूते-छूते बहन की चूत छूने लगा। मेरा लंड फनफना रहा था, और भड़का हुआ था। बिना चूत फाड़े आज मानने वाला नहीं था। बीवी की चूत तो बहुत बार सेठ के लंड से फटी थी। मगर मेरी प्यारी बहना कमसिन कली नाजुक कली थी। उसकी चूत फटी नहीं थी।

मैं बहन को बोला: चोदूंगा तो बुर फटेगी, खून निकलेगा।

बहन बोली: नहीं निकलेगा। खीरा बैंगन घुसा चुकी हूं, खून नहीं निकलेगा।

मैं समझ गया मेरी बहन चुदवाने के लिए तैयार थी। मैं उसकी चूत सहलाते-सहलाते चाटने लगा। बहन ईईईई आह आह आह ईईईई उफ्फ करने लगी। बुर से पानी की धार निकलने लगी। मेरा होंठ मुख सब चूत रस से गीला हो गया। मैंने लंड बहन की चूत पर रखा, दबाया तो लंड फिसल गया। फिर मैंने उठ कर लंड लगाया और धक्का लगाया। पर मेरा लंड फिसल गया। तीन चार बार किया लंड गया नहीं।

तब बहन खुद मेरा लंड पकड़ कर चूत से लगायी। फिर मैंने धक्का मारा, और मेरा लंड बहन की चूत में घुस गया। बहन उफ्फ उह उह उह उह आह आह करने लगी। मैं धीरे-धीरे अपना लंड घुसाता गया। बहन उफ्फ उफ्फ करती रही। आधा से ज्यादा लंड अन्दर था। मैं धक्का मार रहा था, और चुम्बन ले रहा था।

मेरी बीवी बहन की चूची पी रही थी, गाल ओंठ सहला रही थी। मैं धकाधक पेल रहा था। बहन ने आंखें बंद कर ली, और ऊई ऊई ओह मां आह आह कर रही थी। मेरा लंड पूरा 8 इंच से ज्यादा लगभग 9 इंच घचाघच घचाघच फचाफच मार रहा था।

बहन चित्त सीधी लेटी थी, और मैं बहन पर लंड लेकर उसकी चूत में भकाभक भकाभक पेल रहा था। आधा घंटा पेला। चूत ने चार बार पानी छोड़ा। मगर मेरा लंड एक बार पिचकारी मारी तो बहन की चूत भर गयी। मैंने कुछ देर और पेला फिर बहन पर लेट गया। जब उठा तो बहन उठी।

मेरी बीवी पूछी: नीरू कैसा लगा भाई का लंड?

मेरी बहन मुस्कुरायी।

बीवी बोली: अरे जो भी लंड हो, लंड तो लंड ही होता है। मैं सात लंड ले चुकी हूं, मगर सेठ जी का लंड से ही मन भर जाता है।

बहन बोली: भैया, एक बार फिर से।

और वो मेरा लंड पकड़ ली। मैंने पूरी रात बहन को चार बार चोदा। दूसरी रात भी दो बार चोदा। रोज रात बहन को चोदता एक बार और बीवी को चोदता एक बार। फिर बहन गर्भवती हो गयी। टैबलेट जानता नहीं था, और डाक्टर के पास ले जा नहीं सकता था। आखिर बहन को मेरा बच्चा पैदा हुआ। मेरी बीवी अपना बच्चा बता कर मेरी जान बचायी।

Saturday, 9 December 2023

बड़ी बहन को पटाया और चोदा

बड़ी बहन को पटाया और चोदा

 

भाई ने चोदा सगी बहन को इस कहानी में! मैं अपनी शादीशुदा बहन की चूत का मजा लेना चाहता था. लंड की जरूरत उसे भी थी क्योंकि जीजू कई कई दिन बाद घर आते थे.

आप सभी पाठकों का Antarvasna Hindi Sex stories वेबसाइट पर स्वागत है.

मैं कोई लेखक नहीं हूं और ना ही यह कोई कहानी नहीं है.
यह मेरे जीवन में घटित एक घटना है जिसे मैं शब्दों में बयां करने की कोशिश कर रहा हूँ कि कैसे भाई ने चोदा सगी बहन को!

मेरा नाम निमेश (बदला हुआ) है. मैं इन्दौर का रहने वाला हूँ पर पढ़ाई के चलते दिल्ली होस्टल में रहता हूँ.
मेरी उम्र 22 साल, कद 5 फुट 6 इंच है.
मेरे परिवार में मम्मी पापा, बड़ा भाई और दो बड़ी बहन हैं.
दोनों बहनों की शादी हो गई है और बड़ा भाई पढ़ाई के सिलसिले में बाहर रहता है.

बड़ी बहन का नाम यशिका (बदला हुआ) है.
उसका कद 5 फुट 4 इंच और उम्र 30 वर्ष है, रंग गोरा और फिगर 34 28 34 है.
और छोटी बहन का नाम काशिका (बदला हुआ) है, कद 5 फुट 5 इंच उम्र 27 वर्ष रंग गोरा और फिगर 34-30-36 इंच है.

मेरी दोनों बहनें ऐसी हैं कि जिन्हें देखकर बूढ़े से बूढ़े व्यक्ति का लंड खड़ा हो जाए.

बात 1 साल पहले की है जब त्यौहार के चलते सब लोग घर पर इकट्ठा हुए थे.
पर बड़े जीजा जी काम के चलते और भाई अपने इंटरव्यू के चलते नहीं आ पा रहे थे.

सुबह की बात है, बड़ी दीदी नहा कर हॉल में तैयार होने लगी जहां पर मैं पहले से ही मौजूद था.

लाइट के सामने खड़े होने के कारण पेटीकोट में उसकी सफेद जांघें और टाइट गांड साफ साफ दिखाई दे रही थी.
और उनके बड़े और गोल गोल मम्मे मुझे अपनी ओर आकर्षित किए जा रहे थे.

इसी घटना के चलते मेरा नजरिया मेरी बहन के लिए बदल गया और मैं अपनी बहन को चोदने के बारे में सोचने लगा.
पर भाई बहन के रिश्ते की वजह से मैं कुछ भी नहीं कर सकता था.

फिर मैंने सोचा कि क्यों नहीं अपनी बहन को ही चुदने के लिए तैयार किया जाए!

तो मैंने अपनी बहन की सहेली मिताशी के नाम से एक फेक फेसबुक अकाउंट बनाया और उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी.

कुछ समय बाद बहन ने फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट की और मैसेज किया और कहा- मिताशी कैसी हो?
मैं (मिताशी)- बस अच्छी हूं और तुम कैसी हो और कहां हो?
मेरी बहन यशिका- बस कट रही है. अभी तो गांव में घर पर हूं.

मैं (मिताशी)- क्या फट रही है? किसने फाड़ दी तेरी?
यशिका- अरे फट नहीं, कट रही है. फाड़ने वाला कौन है?

मैं (मिताशी)- क्यों फाड़ने वाले जीजा जी कहां चले गए?
यशिका- अरे यार, वे तो काम के चलते बाहर ही रहते हैं. दो-तीन महीने में ही घर पर आना होता है.

मैं (मिताशी)- अरे तभी तो तुम्हारी बातों में मिठास नजर नहीं आ रही!
यशिका- अरे ऐसा कुछ नहीं है यार! वह तो बस यूं ही! और तुम अपना सुनाओ, हमारे जीजा जी कहां हैं? वे तुझे खुश रखते हैं या नहीं?

मैं (मिताशी)- अरे अब मुझसे भी क्या छुपाती हो. मैं तुम्हारे बचपन की सहेली हूं, तुम्हारी बातों में सेक्स की कमी अलग झलक रही है. जहाँ तक मेरी बात रही तो मेरे पति भी तो बाहर ही रहते हैं पर मैं उनकी कमी खलने नहीं देती हूँ.

यशिका- अरे, सेक्स नहीं, बस समय कम बिता पाते हैं. और तुम्हारे पति बाहर रहते हैं तो तुम कैसे उनकी कमी खलने नहीं देती हो!

मैं (मिताशी)- है एक सीक्रेट … पर एक बात पूछूं तुमसे सच-सच बताना?
बहन- हां पूछो!

मैं (मिताशी)- सच-सच बताओ तुम्हारा चुदने का मन नहीं करता है क्या?
यशिका- हां करता तो है पर कर भी क्या सकती हूँ?

मैं (मिताशी)- किसी और से चुद लो!
यशिका- कैसी बातें कर रही हो किसी और से कैसे?

मैं (मिताशी)- क्यों तुम्हारा पति या फिर मेरा पति 2- 3 महीने बिना किसी को चोदे रह सकते हैं क्या, तुम ही बताओ?
यशिका- हां, मर्द तो होते ही हैं कुत्ते की पूंछ … इतना समय बिना चोदे तो रह नहीं सकते!

मैं (मिताशी)- तो सोचो जब वे और किसी को चोद सकते हैं तो हम भी तो किसी और से चुद सकती हैं.
यशिका- हां, बात तो तुम सही कह रही हो. पर किसी और से किससे?

मैं (मिताशी)- किसी बाहर के लड़के को पटा लो!
यशिका- नहीं यार, उसमें पकड़े जाने और ब्लैकमेल का डर होता है.

मैं (मिताशी)- वह तो तुम सही कह रही हो.
यशिका- कोई और उपाय बताओ ना जिससे कि मेरी भूख शांत हो जाए!

मैं (मिताशी)- एक उपाय तो है जिसका उपयोग मैं खुद के लिए भी करती हूं पर तुम शायद कर नहीं पाओगी!
यशिका- बता ना यार, मैं सब करने की कोशिश करूंगी.

मैं (मिताशी)- लगता है चुदने की कुछ ज्यादा ही खुजली मची हुई है तेरी चूत में!
यशिका- सच बताऊं तो हां … अभी बिना चुदे रहा नहीं जाता. बता ना और यार तू क्या करती है?

मैं (मिताशी)- पहले एक वादा कर कि मैं जो बताऊंगी तू उसे करने की पूरी कोशिश करेगी.
यशिका- हां, बता यार … मैं हर संभव प्रयास करूंगी.

मैं (मिताशी)- तो सुन तू अपने भाई से चुदाई करवा ले!
यशिका- क्या बात कर रही है? तू पागल तो नहीं हो गई? भाई के साथ कोई ऐसा करता है क्या?

मैं (मिताशी)- मैं तो करती हूं. देख इसमें कई फायदे हैं, एक तो तेरा भाई किसी को बताएगा नहीं और ब्लैकमेल करने कभी कोई डर नहीं है और साथ ही साथ पकड़े जाने का भी नहीं. और तो और … वह तेरी हर बात मानेगा.
यशिका- हां बात तो तेरी सही है. पर भाई के साथ? तू पागल है. कोई और उपाय हो तो बता.

मैं (मिताशी)- देख मेरे पास तो यही एक उपाय है जिसे मैं भी काफी समय से आजमा रही हूं. और यह सुरक्षित भी है. और रही बात तेरी ना करने की … तो तड़पती रह चुदने के लिए! देख एक तो तेरा भाई जवान भी है और वह भाई होने से पहले एक जवान लड़का है जिसकी भी कुछ जरूरतें होती हैं.

यशिका- हां वह तो सब ठीक है. पर भाई के साथ कैसे?
मैं (मिताशी)- देख तूने वादा किया था और अब तू अपना वादा तोड़ रही है!

यशिका- चल ठीक है, मैं कोशिश करके देखती हूं. और ठीक लगा तो ही करूंगी वरना नहीं! पर कैसे देखूँ कि वह भी मुझे चोदना चाहता है?
मैं (मिताशी)- अपने भाई को रिझा, उसे अपनी ओर आकर्षित कर, अपने मम्मे हिला उसके सामने और देख क्या वह भी तुझे चोदना चाहता है!

यशिका- अच्छा मैं प्रयास करके देखती हूं. चल ठीक है, मैं बाद में बात करती हूं.

फिर मैं अपने रूम में सोफे पर बैठ कर मोबाइल चलाने लगा.

तभी दीदी रूम में आकर झाड़ू लगाने लगी और अचानक से उनकी साड़ी नीचे फर्श पर जा गिरी जिससे उनके 34″ के दूध साफ साफ नजर आने लगे जिन्हें देख कर मैं स्तब्ध रह गया.

इसकी वजह से मेरा लंड खड़ा होने लगा.

फिर अचानक से दीदी मेरे पास आई और कहने लगी- सोफे के पीछे काफी धूल हो गई है!
और वह झुक कर पीछे धूल साफ करने लगी जिसकी वजह से उनकी चूचियां मेरे मुंह से लगने लगी.

मैंने कहा- क्या कर रही हो दीदी? जरा मुझे तो देखो!
तो उन्होंने कहा- रुक जा … जरा धूल साफ करने दे!

मैंने भी जोश में आकर उनकी दोनों चूचियां पकड़कर भींच दी.
तो उसके मुंह से आह निकल गई.

पर उसने कुछ नहीं कहा.
जिस्मानी गर्मी की वजह से मेरा लंड पूरा आकार ले चुका था.

जब दीदी जाने को हुई तो उनकी साड़ी सोफे में फंस जाने से वह अचानक से मेरी गोद में आ गिरी, जिसकी वजह से मेरा खड़ा हुआ लंड उसकी गांड की दरार फंस गया.

मैंने कहा- दीदी, क्या कर रही हो? मेरे ऊपर से उठो!
तो कहने लगी- बस अभी साड़ी निकाल लूं जरा!
और जोर-जोर से बैठे-बैठे गांड को मटकाने लगी.

जिसकी वजह से मैं वासना के रस में भीग गया.
मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए उसकी कमर को पकड़ कर नीचे से एक जोरदार झटका दे मारा जिसकी वजह से लंड गांड से जा टकराया जिसकी वजह से उसका मुंह खुल गया और सिसकारी निकल गई.

पर मैंने उसे सॉरी कहा.
तो उन्होंने ‘कोई नहीं’ कहते हुए एक प्यारी सी स्माइल पास की और वहां से चली गई.

उसके कुछ समय बाद दीदी का मैसेज आया- यार मिताशी, मेरा छोटा भाई तो बड़ा ठरकी है. वह तो अपनी बड़ी बहन को ही चोदना चाहता है. वह तो अच्छा हुआ घर पर सब थे. नहीं तो वरना आज ही पटक कर वह मेरी चुदाई करता

मैं (मिताशी)- अच्छा, अब तू ही सोच ले कि तुझे भाई से चुदना है या फिर जीजा जी का इंतजार करना है.

दीदी- नहीं यार, अब नहीं रहा जाएगा. उसका लंड तो मेरी गांड में आज घुस ही गया था. अगर घर पर कोई नहीं होता तो शायद मैं भी खुशी खुशी चुदवा लेती. बस अब तो तू यह बता कि उससे कैसे चुदवाया जाये कि उससे कहना ना पड़े!

मैं (मिताशी)- जब कोई घर पर ना हो तब कुछ ऐसा करना कि वह ना चाह कर भी तुझे चोद दे और तू ना चाह कर भी चुद जाए!

उसके बाद मैं शाम को खाना खाकर दिन की सब बातों को याद करते करते ना जाने कब सो गया.

सुबह उठकर देखा तो छोटी दीदी जा चुकी थी, घर पर केवल मम्मी पापा और बड़ी दीदी ही थे.

उसके बाद मैं नाश्ता करके दोस्तों के साथ बाहर घूमने चला गया.
जब शाम को मैं आया तो देखा मम्मी पापा कहीं जा रहे थे.

मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि नानी की तबीयत खराब है तो उन्हीं से मिलने जा रहे हैं. जल्दी ही वापस आ जाएंगे.
और मुझे कहा कि घर पर ही दीदी के साथ रहना.

शाम को दीदी ने खाना बनाया और हमने साथ में खाया.

उसके बाद मैं टीवी देखने लगा.
तभी फेसबुक पर मैसेज आया- यार मिताशी, आज घर पर कोई नहीं है. कुछ बता जिससे कि चुदाई हो सके!

मैं (मिताशी)- देख चुदाई तुझे करवानी है तो तू जाने तुझे क्या करना है. बस यही कहूंगी कि मौका अच्छा है, हाथ से मत जाने देना. बेस्ट ऑफ लक!

कुछ समय बाद दीदी हॉल में आई और वहां पर पडे बेड पर बैठ गई और टीवी देखने लगी/

थोड़ी देर के बाद उसने कहा- सतीश, आज शरीर ज्यादा काम करने की वजह से कुछ ज्यादा ही दर्द कर रहा है. क्या तुम मेरे पैर दबा दोगे?

मैंने कहा- क्यों नहीं दीदी, आप पेट के बल लेट जाओ, मैं दबा दूंगा.

उसके बाद दीदी पेट के बल लेट गई और मैंने धीमे-धीमे हाथों से पैरों को दबाना चालू कर दिया और साथ ही साथ हल्के हाथों से सहलाने लगा जिसका दीदी प्रतिक्रियात्मक मजा लेने लगी.

कुछ समय इसी तरह चलने के बाद दीदी बोली- मैंने सुना है कि मसाज कराने से दर्द बहुत जल्दी सही हो जाता है. तेरा क्या ख्याल है?
मैं- हां सुना तो मैंने भी यही है!

दीदी- तो ऐसा कर मेज पर रखे हुए तेल से मालिश कर दे जरा!
मैं- ठीक है दीदी अभी करता हूं!

उसके बाद मैंने तुरंत पैरों तेल लगा कर हल्के हाथों से मालिश करना शुरू कर दी.
दीदी- जरा घुटनों के ऊपर भी कर देना, काफी दर्द हो रहा है.

उसके बाद में घुटनों के ऊपर कोमल हाथों से मालिश करने लगा जिसका दीदी बखूबी मजा उठा रही थी.

दीदी- अरे कहीं नाइटी तेल से खराब खराब तो नहीं हो रही है?
मैं- हां बिगड़ तो रही है थोड़ी बहुत!
दीदी- तो ऐसा कर नाइटी को निकाल दे.
मैं- क्या निकाल दूं?
दीदी- हां निकाल दे जिससे सही से मालिश हो जाए!

फिर मैंने नाइटी को एक झटके में निकाल दिया अब दीदी मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में लेटी हुई थी और मैं मालिश करने लगा.
तभी दीदी बोली- जरा कमर पर भी कर देना!

उसके बाद हल्के हाथों से कमर पर मालिश करने लगा.

दीदी- अरे जरा पीठ और गर्दन पर भी मालिश कर देना, बहुत दर्द हो रहा है आज पूरे शरीर में!
मैं- ठीक है दीदी, करता हूं!

उसके बाद मैं पीठ और गर्दन पर मालिश करने लगा.
जिससे दीदी धीमी आवाज में मदहोशी में आवाजें निकालने लगी.

कुछ समय इसी तरह चलने के बाद दीदी बोली– ब्रा का हुक भी खोल देना. कहीं तेल से ना खराब हो जाए!
मैंने दीदी की बात को अनसुना कर दिया.

तभी दीदी बोली- सुना नहीं तूने, ब्रा को निकाल दे. नहीं तो तेल से खराब हो जाएगी!
मैं- पर दीदी, इससे तो आप ऊपर से नंगी हो जाओगी?
दीदी- तो क्या हुआ … कोई देख थोड़ी रहा है यहां पर! और फिर मालिश भी अच्छे से कर सकता है तू!

उसके बाद मैंने दीदी की ब्रा को निकाल फेंका.
अब दीदी मेरे सामने ऊपर से पूरी तरह नंगी और नीचे सिर्फ पेंटी में लेटी हुई थी.
जिसे देखकर मैं अपना आपा खोने लगा.

मेरा लंड पैंट फाड़ने के लिए तैयार था जो उनकी गांड से लगातार रगड़ खा रहा था.
जिसका दीदी गांड उठा कर बखूबी मजा उठा रही थी.

तभी दीदी बोली- मेरा एक काम करेगा?
मैंने कहा- हां दीदी, कहो तो आप?

दीदी- मेरे चूतड़ों की मालिश कर देगा क्या प्लीज?
मैं- क्या चूतादों की? पर मैं कैसे कर सकता हूं?

दीदी- जैसे अभी कर रहा है. बहुत दर्द हो रहा है पिछवाड़े में! कर दे ना प्लीज अब तो बस यही दर्द रह गया है!
मैं- ठीक है दीदी अभी कर देता हूं.

तभी दीदी ने अपनी पेंटी को भी निकाल दिया और पैरों को फैलाकर आंखें बंद करके लेट गई.

मैंने भी समय के मिजाज को देखते हुए अपने सारे कपड़े निकाल दिये और नंगा होकर मालिश करने लगा.

मेरे सामने दीदी की गोरी चूत खुलकर सामने थी.
चूत रस से अभी तक पूरी भीग चुकी थी जो मुझे अपनी ओर चाटने के लिए लालायित कर कर रही थी.

पर मैंने अपने आप को संभाला और गांड पर मालिश करना जारी रखा.

अब दीदी पूरी तरह गर्म हो चुकी थी, मुंह से ‘आह आह … उई माँ’ की आवाजें निकालने लगी.
मैंने पूछा- क्या हुआ दीदी?
तो बोली- कुछ नहीं, दर्द काफी है ना … इसलिए थोड़ा आराम मिला है!

कुछ समय तक यूं ही दीदी की गांड को टटोलने के बाद मैंने अपनी एक उंगली चूत में डाल दी जिससे दीदी की आह निकल गई.
पर उसने कुछ नहीं कहा.

अब हम दोनों के लिए अपने आप को संभाल पाना मुश्किल था.
मैंने उंगली को चूत के अंदर बाहर करना चालू कर दिया जिससे दीदी मजे के सातवें आसमान पर सवार होने लगी.

अब मैंने अपनी दो उंगली चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा.

कुछ समय बाद मैंने जीभ चूत में डाल दी जिससे दीदी सिसकारने लगी और कहने लगी- उई मां मर गई!
और अपने हाथ से पकड़ कर मेरे मुंह को चूत पर दबाने लगी.

कुछ समय बाद दीदी ने उठकर अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिए और चूमने लगी.
मैंने भी उनकी दोनों चूचियां को मसलते हुए होठों को चूमने लगा.

10 मिनट जोरदार चुसाई के बाद दीदी बोली- अब रहने दे, होठों में दर्द होने लगा है!

फिर दीदी बोली- अब जैसे पीछे की मालिश की थी, वैसे ही आगे की भी कर दे तो संतुष्टि मिल जाएगी!
मैंने भी कह दिया- दीदी हाथों से करूं या लंड से?

दीदी- पहली बात तो ये कि अब दीदी मत बोल!
मैं- तो क्या बोलूं दीदी?
दीदी- जब काम रानी वाले कर रहा है तो रानी बोल या डार्लिंग! पर दीदी ना बोल! और रही मसाज की बात, तो अब तो तू मेरा राजा है लंड से, मुंह से, हाथों से जैसे भी करना है वैसे कर … बस जल्दी से कर. अब रहा नहीं जाता मेरे राजा!

फिर मैं दीदी की दोनों चूचियों को एक-एक करके चूसने और काटने लगा.
उसकी चूचियां एकदम लाल हो गई.

दीदी- ओ मेरे राजा, अब बजा दे मेरी चूत का बाजा!
मैंने- हां डार्लिंग, अभी लो पहले मेरे लंड को चूसो!

तो दीदी ने चूसने से मना कर दिया.
पर मेरे ज्यादा कहने पर उसने लंड मुंह में ले लिया.

अब मैं पूरे जोश के साथ उसके मुंह को चोदने लगा जिससे गफ्प गफ्प की आवाज आने लगी.
लंड गले मे टकराने से उसकी सांसें थम गई और आंसू बहने लगे.

तो मैंने तुरंत लंड को बाहर निकाल लिया और उसकी चूत को सहलाने लग गया, चाटने और काटने लगा.
जिससे उसकी आवाजें तेज होती जा रही थी- अब घुसा दे चूत में लंड बहनचोद कुत्ता!
मैं- हां कुतिया रंडी, अभी ले …तेरी चूत का बुरा हाल ना किया तो देखना!

और मैं उसकी चूत को पीने लगा.

कुछ देर बाद मैंने लंड को सेट कर एक जोरदार झटका दे दिया जिससे आधा लंड दीदी की चूत में घुस गया.
जिससे दीदी की चीख़ निकल गयी- उईई ईई … माँ आहह हह … मार डाला बहनचोद!
मैं- क्यों, तुम तो पहले भी कई बार चुदी हो तो चिल्ला क्यों रही हो?
दीदी- बहनचोद, बहुत दिनों बाद चुद रही हूं. और तेरे जीजा का लंड काफी छोटा है!

मैं- अब ले कुत्तिया रंडी … चूतचोदी, बड़े लंड का मजा!
और मैंने एक और झटका चूत में दे दिया जिससे पूरा लंड घुस गया.
और वो चीखने चिल्लाने लगी.

मैं कुछ समय उसके ऊपर यूं ही लेटा रहा.
दीदी का दर्द कम होने के बाद मैंने लंड को धीमे धीमे चूत में चलाना शुरू कर दिया.

कुछ समय यूं ही चलाने के बाद मैंने झटकों को तेज कर दिया जिसका दीदी गालियां और दे दे चिल्लाकर मजा उठाने लगी.

दीदी- मादरचोद कुत्ता … चोद और तेज … आज अपनी बहन की चूत की प्यास बुझा दे! और तेज! भरता बना दे अपनी बहन की चूत का! ईईई ईईई … ह्म्म्म घघ् … आआह हहह् … ईईई!
कहती हुई दीदी झड़ गई.

जिससे मेरा लंड दीदी की चूत के रस से सन चुका था.

अब दीदी निढाल होकर बिस्तर पर ही लेट गई और मुझे किस करने लगी.

मैंने दीदी की चूचियों को सहलाने और चूसना शुरू कर दिया, साथ ही साथ दीदी की चूत में उंगली चलाना शुरू कर दिया. बाद में मुंह से चाट चाट कर चूत को साफ कर दिया.

अब दीदी फिर से गर्म हो चुकी थी और लंड लेने के लिए तैयार थी.

मैंने कहा- मेरे लंड की रानी, अब पंजाबी कुतिया बनाकर चोदूंगा तुझे!
दीदी- जैसे चोदना है वैसे चोद … मादरचोद अब जल्दी डाल लंड चूत में!

अब मैंने गीली चूत में लंड डाल दिया और पूरे जोश के साथ चोदने लगा.
दीदी गांड उठा उठा कर और चिल्ला चिल्ला कर चुद रही थी.

जोरदार और जबरदस्त 20 मिनट की जुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था.
तो मैंने दीदी से पूछा- दीदी, अपने भाई के लंड का रस को कहां पर लेना पसंद करोगी?
दीदी- डाल दे लंड रस को चूत में ही … और बुझा दे इसकी प्यास!

उसके बाद मैं दीदी की चूत में झड़ गया और निढाल होकर उनके ऊपर ही लेट गया.

कुछ समय बाद दीदी बाथरूम में गई तो मैं भी उसकी गांड के पीछे पीछे चला गया और पीछे से जाकर पकड़ लिया.

दीदी- अरे क्या कर रहा है तू? अब तो छोड़ दे … और कितना करेगा? मन नहीं भरा तेरा? मेरी तो चूत दर्द करने लगी है!

मैं- अरे आप जैसी माल को भी कहीं छोड़ा जाता है क्या? अगर तुम मेरी पत्नी होती तो दिन रात चोदता और तेरी चूत का भोसडा बना देता अभी तक तो!
दीदी- अच्छा अब बना लेना! पर अभी छोड़ दे, दर्द हो रहा है. काफी दिनों के बाद चुदी हूँ ना इसलिए!

मै- अरे कोई अप्सरा को छोड़ता है क्या?
कहते हुए मैंने लंड चूत में डाल दिया और खूब चोदा.

अगले दिन पापा मम्मी के आ जाने से पहले दीदी को दो बार और चोदा.
पर शाम को पापा मम्मी के आ जाने के कारण दीदी की फूली गांड की चुदाई और चुसाई नहीं कर पाया.

पर दीदी के अगली बार घर आने पर वह सपना भी पूरा हुआ.

अब जब भी मुझे और दीदी को मौका मिलता तो खूब चुदाई का आनंद उठाते हैं.

यह कहानी जिसमें भाई ने चोदा सगी बहन को अच्छी लगी होगी.

Monday, 16 October 2023

बहन की चुदाई खेल खेल में

बहन की चुदाई खेल खेल में

 

मेरी बहन का नाम अंकिता है. (बदला हुआ नाम)

वह देखने में एक नम्बर की माल लगती है.
उसको देख कर अच्छे अच्छों के लंड से पानी निकल आए.

मेरी सेक्सी बहन का बदन 34-30-32 साइज का है.

यह हॉट सिस्टर सेक्स प्ले स्टोरी कुछ समय पहले की है जब मैं 19 साल का था.

मैं और मेरी बहन यानि मेरे बड़े पापा को लड़की … हम दोनों की बहुत बनती थी, हमेशा हम साथ साथ खेला करते थे.

खेल खेल में हम गुड्डा गुड्डी की शादी करते थे और उनकी सुहागरात मनाते थे.
इस खेल खेल में मेरी बहन बहुत उत्तेजित हो जाती और बोलती- अब अपनी शादी होगी!
और हम रोज खेलते.

एक दिन हमने शादी की.
और वह दुल्हन जैसे बैठी थी.

जिस दिन ये सब हुआ, हमारे घर वाले बाहर गए थे.

शादी होने के बाद जो खेल खेलना था, वो मुझे अच्छे से मालूम था.
मेरी बहन भी बहुत अच्छी तरह से गर्म हो रही थी.

मैंने उसके मुंह से साड़ी हटाई और उसकी देखने लग गया.
उसके बाद मैंने उसको किस किया और हम दोनों ने 10 मिनट तक किस की.

तब उसके बाद एक एक कर के कपड़े उतार दिए हम दोनों ने एक दूसरे के!

मेरी बहन मेरे सामने ब्रा और पैंटी में थी.
वह इतनी मस्त माल थी कि क्या बताऊं … मैं देखता ही रह गया!

उसके बाद मैंने धीरे धीरे कर के उसकी ब्रा उतारी और उसके चूचे चूसने लगा.
वह हा हम्म हहा की सिसकारी लेने लग गई.

उसके बाद मैंने उसकी चूत में उंगली डाल दी और उसकी चूत पूरी गीली हो रही थी.

फिर मेरी बहन मेरे लन्ड को चड्डी के ऊपर से सहलाने लगी.
उसे मेरा लंड काफी बड़ा लगा तो उसने मेरा लन्ड चड्डी में से बाहर निकाला.
वो निकलते ही मेरा लंड देख कर से ही घबरा गई- इतना बड़ा लन्ड …मैं कैसे लूंगी? मैंने अभी तक नहीं करा है कभी!

मेरे लन्ड का साइज़ 7 इंच लम्बा 3 इन्च मोटा है.
ये अच्छी अच्छी लड़की को शांत कर चुका है.

अपनी बहन का डर देख कर मैंने उसे लन्ड चूसने को कहा.

पहले तो वह मना करने लगी पर बाद में चूसने लगी.

और वह इतने अच्छे से चूस रही थी कि मानो मुझे जन्नत मिल गई है.

10 मिनट बाद मैंने उसके मुंह में माल निकाल दिया जिसको वह पूरा पी गई.

फिर मैं उसकी चूत में मुंह लगा के चाटने लगा.
उसकी चूत पूरी गीली हो रही थी, चूत की खुशबू मुझे बहुत अच्छी लग रही थी.

और वह मेरा सर अपनी चूत में दबा रही थी.
थोड़ी देर में उसकी चूत का पानी निकल गया और मैं उसको पूरा पी गया.

उसके बाद फिर मैं उसको किस करता, कभी चूचे चूसता.

हम दोनों गर्म हो गए.

अब वह बोलने लगी- बिना देर करे डाल दे … मेरे से रहा नहीं जा रहा है.

और फिर मैं उसको लेटा कर उसकी चूत में लन्ड रगड़ने लगा.

वह पागल होती जा रही थी.

फिर मैंने उसके होटों पे किस करते करते एक जोर से झटका मारा.
जिससे मेरा आधा लन्ड उसकी चूत में चला गया और वह जोर से चिल्लाने लगी.

पर मैंने अपना मुंह उसके मुंह पर रखा हुआ था.

वह रोने लगी.
उसका पहली बार था तो उसकी चूत में से खून निकलने लगा.

मैं वैसे ही रुक गया.
वह बोली- निकालो, बहुत दर्द हो रहा है.

मैं बोला- थोड़ी देर का दर्द है, फिर मजे ही मजे हैं.

थोड़ी देर में उसका दर्द कम हुआ.
तब मैंने दूसरा झटका मारा जिससे मेरा पूरा लन्ड चूत में समा गया.

वह चीखने लगी- भाई निकालो!
पर मैंने उसकी एक न सुनी और मैं बहन को चोदता रहा.

कुछ देर बाद वह भी धीरे धीरे गांड उठा कर चुदाने लगी.

फिर 20 मिनट की चुदाई में दो बार झड़ गई.
और मेरा भी होने वाला था.

मैंने बोला- कहाँ निकालूं?
उसने बोला- अंदर निकाल दो, गोली खा लूंगी.

उसे बाद मैंने जोर जोर से 8 से 10 झटके मार कर पूरा माल निकाल कर उसके ऊपर गिरा दिया.

अब तक मैं थक गया था तो मेरी नींद लग गई.

थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि मेरे लन्ड पर कोई कुछ कर रहा है.
मैंने देखा तो मेरी बहन उसके साथ खेल रही थी.

फिर उसने मेरा लंड चूस के खड़ा कर दिया.

तब मैंने उसको घोड़ी बना के चोदा.
और मेरी हॉट सिस्टर सेक्स प्ले के खूब मजे ले रही थी.

उस दिन हमने 4 बार चुदाई की और शाम को तैयार होकर टीवी देखने लगे.

थोड़ी देर बाद घर पर सब आ गए.
और आज मेरी बहन के चेहरे पे अलग मुस्कान थी.

वह ठीक से चल भी नहीं पा रही थी.

फिर हमारी चुदाई का सिलसिला चलता रहा.

थोड़े दिन बाद मेरी बहन की शादी हो गई.

आज भी हमें मौका मिलता है तो हम खूब चुदाई करते हैं.

अगर मेरे द्वारा लिखी गई कहानी में कोई गलती हुई हो तो मुझे क्षमा करना.

मामा की लड़की प्रेमिका बनकर चुदी

मामा की लड़की प्रेमिका बनकर चुदी

 मैं राजापुर से आदित्य हूँ.
मेरी उम्र 25 साल हो गयी है.
हाईट 5.6 फीट, गोल चहरा, रंग गोरा, लंड की लंबाई 6 इंच और मोटाई 3 इंच।

मेरी फैमिली में मैं, मम्मी, पापा, बड़ा भाई और एक मेरी मामा की लड़की रोशनी रहती है।

मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ और मैं अन्तर्वासना में आने वाली सभी कहानियों को पढ़ता हूँ.
मैंने भी सोचा कि क्यों ना मैं भी अपनी सच्ची कहानी आप सभी को बताऊँ।

यह कहानी मेरी और मेरी बहन रोशनी की है।
रोशनी की उम्र 22 साल, लंबाई 5’1″ और उसका साइज 30-28-32 था।
मेरी बहन दिखने में माल है।

उसको कई लड़कों ने प्रपोज भी किया जो बाद में रोशनी ने मुझे बताया था।
पर उसने सबको रिजेक्ट कर दिया।

क्यों रिजेक्ट किया था ये आगे आपको पता चल जायेगा।

अब फर्स्ट सेक्स विद सिस्टर पर आता हूँ।

मैं 2016 में एक लड़की प्रिया से प्यार करता था और प्रिया भी मुझसे बहुत प्यार करती थी।
प्रिया मेरी क्लास की एक होनहार लड़की थी।

मैं उससे प्यार तो 2013 से करने लगा था पर प्रपोज 2016 में किया था।
पर मैंने उसके साथ कुछ भी गलत नहीं किया था।

2018 में उसकी एक कार से दुर्घटना हो गयी।
वह साइकिल से स्कूल से पढ़ कर घर को जा रही थी और एक कार वाले ने दारू पी कर गाड़ी चलाने से प्रिया का एक्सीडेंट कर दिया।
कार वाला तो बच कर निकल गया पर प्रिया ने वहीं अपनी जान दे दी।

ये सब मेरे सामने हुआ था क्योंकि मैं भी प्रिया के साथ उसके पीछे पीछे साइकिल ले कर आ रहा था उससे बात करते करते।

मेरी साइकिल की चैन उतर गयी और मैं साइकल की चैन चढ़ाने लगा।

प्रिया का एक्सीडेंट हुआ, उससे मैं बहुत टूट गया और मैं दारू पीने लगा सबसे छुप कर।

दोस्तों ने पीना सिखा दिया था प्रिया के नाम की कसम देकर!

रोशनी भी हमारे स्कूल में पढ़ती थी।

25.07.2019 को एक बार मैं घर वालों से छुपा कर एक दारू की बोतल ले आया।
तो रोशनी ने मुझे देख लिया कि मैं कुछ तो छुपा कर लाया हूँ और मैंने वो अपने रूम में रखी है।

मैं दारू की बोतल रख कर रूम से चला गया।
उसके बाद रोशनी रूम में आई और बोतल देख ली।

मैं रात को आराम से घर आया खाना खाया और अपने रूम में चला गया।

रात के 9 बजे सब सो गए खाना खाकर और सब काम निबटा कर!
मेरा रूम ऊपर छत के एक कोने में है जहाँ मैं अकेला ही रहता हूँ.

रात को मेरे रूम की तरफ कोई नहीं आता।
पर मैंने कई बार किसी के आने की आहट सुनी थी।
मैं उसे इग्नोर कर दिया करता था।

मैंने रूम का दरवाजा बंद किया और दारू की बोतल खोलने लगा।

फिर मुझे याद आया कि नमकीन और लानी थी नीचे किचन से।

मैं रूम खोल कर नीचे गया और नमकीन का पैकेट ले आया।

नमकीन लाने से पहले ही मैंने सब देखा कि सब सो गए हैं या जग रहे हैं।

मुझे लगा सब सो गए।
मेरे आने से पहले ही रोशनी मेरे रूम में एक कोने में छुप कर बैठ गयी थी।

मैंने रूम बंद करके दारू की बोतल खोली और नमकीन के साथ दारू पीने लगा।

3 मिनट बाद रोशनी कमरे के एक कोने से उठकर आयी और मुझसे बोली- अब मैं सबसे बोलूँगी कि आप क्या करते हो रात को सबसे छुप कर!
वह मेरे कमरे में छिप गयी थी.

मैं आवाज़ सुनते ही डर गया और दारू की बोतल गिर गयी डर के मारे।
मैंने देखा रोशनी खड़ी है और मुझे देख रही है।

मैं उससे बोला- त..त.. तू कब आई यहाँ?
वह बोली- जब आप नीचे गए थे किचन में तब मैं यहाँ आपके रूम में आ गयी।

मैं उसके सामने हाथ जोड़ते हुए बोला- देख मेरी बहन, किसी को बताना मत यार! वरना बहुत मार पड़ेगी मुझे।
वह बोली- आप हाथ मत जोड़ो, मैं बोलूँगी तो जरूर!
और यह बोलकर वह जाने लगी।

मैं और भी ज्यादा डर गया।
मैंने उसके पैर पकड़ लिए और रोने लगा- मत बताना … मैं मर जाऊँगा यार!

यह सुनते ही रोशनी ने मेरे मुंह पर हाथ रख दिया और बोली- आप ऐसा मत बोलो, नहीं बोलूँगी किसी को! पर मेरी एक बात माननी पड़ेगी आपको!
मैं बोला- क्या … जो भी बोलेगी, वो मानूँगा।

वह मुस्कुरा कर बोली- मैं आपके साथ यहीं सोना चाहती हूँ आज रात!

मैं सोचने लगा कि ये क्या बोल रही है.
मैंने उसे मना कर दिया।

वह बोली- ठीक है, मैं जा रही हूँ, सबको बता दूँगी आपकी बात!
मैं डर गया.

मैंने सोचा कि अगर यह मेरे घर वालों को बता देगी तो मेरी इतनी सुताई होगी बड़े भाई से, ये मुझे ही पता है।

तो मैंने बोल दिया- ठीक है, आ जा सो जा, मेरी खाट पर एक तकिया है। और खाट पर दो सही से सो नहीं पायेंगे।
वह मुस्कुरा कर बोली- सो जायेंगे भईया।

मैंने देखा कि दारू की बोतल से दारू खाट पर गिर गयी है और थोड़ी दारू ही बची है.

तो मैंने उसे पी लिया.
मुझे अब तक नशा चढ़ने लगा था।

रोशनी ने मेरी नमकीन भी खा ली थी और खाट पर जाकर लेट गयी थी।

मैं भी लाइट बंद करके लेट गया उसके पास ही खाट पर।

अब घड़ी में रात के 10:30 बज रहे थे।

रोशनी मुझसे बोली- भाई, आप दारू क्यों पीते हो?
मैंने उसे प्रिया के बारे में सब कुछ बता दिया।

वह बोली- भाई, उसे भूल क्यों नहीं जाते! वह तो अब चली गयी ना। अब किसी और से प्यार करो जो आपको प्यार करती हो।
मैं बोला- नहीं, प्रिया मेरी जान थी, वह नहीं तो कोई और नहीं।

रोशनी थोड़ा सा उदास होकर बोली- ठीक है भईया, मैं अब सो रही हूँ।

मैं भी नशे में था. मैं टॉयलेट गया और आकर सो गया खाट पर!

मोबाइल पर देखा 12:14 बज रहे थे.
मैं सो गया।

रात को मैंने महसूस किया कि मेरी जांघ के ऊपर रोशनी का हाथ रखा है और वह मेरे लंड को सहला रही है। मेरे होठों पर उसके होंठ हैं.

ये सब महसूस करके मेरे पसीने छुट गए।
मैं सोचने लगा कि ये क्या हो रहा है मेरे साथ।
मेरे मामा की लड़की मेरे साथ ये सब क्या कर रही है।

रोशनी ने मेरा हाथ धीरे से पकड़ा और उसने अपनी पैंटी में मेरा हाथ डाल दिया और उसने अपनी चूत पर हाथ रखवाया।

वह बोलने लगी- धीरे धीरे … आह … मेरी जान, आप कब समझोगे कि आपकी बहन आपसे कितना प्यार करती है. आज आप मिले हो, मेरी प्यास बुझा दो।

उसे लगा कि मैं सो रहा हूँ इसलिए वो ये सब बोल रही थी और कर रही थी।

अब मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था।
मेरा लंड खड़ा हो गया था।

मैंने उसके कान में कहा- रोशनी, ये सब क्या कर रही हो? मेरा लंड खड़ा हो गया है।

उसने मेरी आवाज सुनते ही जल्दी से मेरा हाथ पैंटी से निकाला और अपने होंठ मेरे होंठों से हटा कर दूसरी साइड करबट बदल ली।
वह शर्माने लगी थी।

मैंने पीछे से उसको बाहों में ले लिया और उसके स्तन दबा दिये.
वह एक प्यारी सी आह … करके रह गयी।

मैंने उसके कान में पूछा- कब से प्यार करती हो मुझे?
रोशनी बोली- जब आप मुझे मेरे घर से लेने गए थे। जब आप कई साल बाद मेरे घर आये, मैंने आपको देखा और आपको अपना दिल दे बैठी।

मैं रोशनी के पीछे से दुद्दू दबा रहा था और नीचे से लंड उसकी गांड पर रगड़ रहा था और उसके कान के पास उसे चूम रहा था।
इससे वह मदहोश होने लगी।

मैंने उससे पूछा- तेरा कोई बॉयफ्रेन्ड है?
वह बोली- भाई, मुझे कई लड़कों ने प्रपोज किया पर मैंने सबको मना कर दिया।

मैंने पूछा- क्यों?
रोशनी बोली- मैं आपसे प्यार करती हूँ, किसी और से नहीं। मुझे आपका और प्रिया का भी पता था कि आप उससे प्यार करते हो। इस वजह से मैं बहुत रोती थी रात को। आई लव यू आदि भईया।
मैं बोला- आई लव यू टू मेरी जान! मैं तेरा अब भाई नहीं हूँ।

उसे मैं गर्म करता जा रहा था और वो अब तक गर्म हो गयी थी.

मैं बोला- अब बात ही करेगी या प्यार करेगी? और सुन, किसी को पता ना चले इस बात का। मैं तुझसे बहुत प्यार करूँगा मेरी जान।
रोशनी बोली- ठीक है भाई! ओह्ह सॉरी मेरे बाबू, किसी को नहीं बताऊँगी।

मैंने अब उसे खड़ी किया और लाइट जलाने को बोला।
वह मना करने लगी।

मैंने बहुत बार उसे कहा तो वह लाइट जलाने लगी।
पीछे मुड़ कर देखा उसने तो वह शरमा गयी।

मैं खाट पर पूरा नंगा हो कर लेटा हुआ था।
मेरा लंड खड़ा था।

मैंने उसको अपने पास बुलाया.
वह शर्माती हुई आ गयी।

मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने पास खींच लिया.
वह मेरे ऊपर गिर गयी।

मैंने उसे किस किया और उसके कपड़े निकालने लगा।
वह शर्माती हुई नंगी हो गयी।

मैंने उससे कहा- देख शर्मायेगी तो प्यार नहीं करूँगा। भूल जाना मुझे फिर!

वह मुझसे लिपट गयी और बोली- आप मुझसे अलग मत होना कभी. आप जो बोलोगे, मैं वही करूँगी. पर आप भी दारू मत पीना प्लीज! आपको मेरी कसम. मेरे प्यार की कसम और प्रिया को भूल जाओ।

यह बोलते ही उसने मेरे लंड को सहलाया और उसे मुंह में ले लिया।
वह बड़े प्यार से लंड चूस रही थी।

मैंने उससे पूछा- ये सब कहाँ से सीखा? या किसी का चूसा है ऐसे कभी?
वह मेरा लंड मुंह से निकाल कर बोली- भाई … ऑफो सॉरी मेरे बाबू, मैं पोर्न मूवी देखती थी मोबाइल में और अन्तर्वासना में भाई बहन की चुदाई की कहानी पढ़ती थी और आपका नाम ले कर चूत में उंगली करती थी। अब देर मत करो चोद दो मुझे. बहुत रात हो गयी है। मुझे सोना भी है।

फिर उसने लंड को मुंह में लिया और चूसने लगी.

मुझे मजा आ रहा था.
मैं उसकी चूत में उंगली करने लगा।

फिर मैं उसे बोला- एक काम कर जानेमन, 69 की पोजीशन में आ जा, मजा आएगा।
उसने वैसे ही किया और वह अपने दोनों पैर मेरे चहरे की तरफ करके लेट गयी और लंड चूसने लगी.

मैंने भी उसकी चूत चाटी।
उसे मजा आने लगा और वह मजे से लंड चूसती रही।

कुछ मिनट बाद वह अकड़ने लगी और उसने अपना पानी निकाल दिया।
मैंने उसका पानी चाट लिया।

एक मिनट बाद मैंने भी अपना पानी निकाल दिया उसके मुंह में!
वह मेरा पूरा पानी पी गयी और बोली- बाबू, आपका पानी अजीब सा लग रहा है।

मैंने उसको किस किया और बोला- यह मेरे प्यार का पानी है थोड़ा अजीब लगेगा पहले मेरी जान। अब तो तुमको इसे रोज पीना है।

मैं उसे किस करने लगा, साथ में उसकी चूत में उंगली करता रहा।

उसे फिर मजा आने लगा, वह गर्म हो गयी।
वह मेरे लंड से फिर खेलने लगी.
मैंने उसके मुंह में लंड दिया।

फिर मैं उसे दीवार के सहारे खड़े करके चोदने की तैयारी करने लगा।
मैंने पीछे से उसकी चूत के अंदर लंड डाला तो लंड नहीं जा रहा था।

वह कमसिन कली थी।
वो बोली- बाबू, मत तड़पाओ, अब नहीं रहा जाता। मुझे पता है कि दर्द होगा. आपका लंड मोटा है पर मैं कोशिश करूँगी कि मैं ना चिल्लाऊँ … पर आप धीरे धीरे करना। जब मुझे मजा आएगा तो मैं खुद बता दूँगी तेज करने को।
मैंने आराम से लंड उसकी चूत पर सेट किया और धीरे धीरे अंदर करने लगा।

लंड थोड़ा अंदर गया तो वह थोड़ा सा आह … ह्म्म्म ओह्ह आह … करने लगी।

मैं भी उसके दूध दबा कर उसे गर्म कर रहा था और मजे दे रहा था।

धीरे धीरे लंड ने चूत में जगह बना ली।
मैं उसे धीरे चोदता रहा।

उसे अब मजा आने लगा।
वह बोली- आह … ओह्ह … ह्म्म्म … यसस … बस बाबू … अब तेज तेज करो … रहा नहीं जाता मेरी जान!

मैं तेज तेज उसे चोदने लगा।

हर 2 मिनट बाद मैं उसे अलग पॉजिशन में चोद रहा था।
कभी डॉगी स्टाइल, कभी मेरे ऊपर से बैठा कर धक्के लगवाता था।

वइस चुदाई में वह कई बार झड़ गयी थी।

और मैं भी उसकी चुत में झड़ने लग गया।
इस प्रकार मैंने फर्स्ट सेक्स विद सिस्टर का मजा लिया.

उस रात हमने 2 बार ही चुदाई की क्योंकि उसका और मेरा पहली बार था।
वह और मैं इस चुदाई में थक गए थे।

मैं उसे बाहों में लेकर खाट पर लेटा रहा.
हम नंगे थे दोनों।

मैं उसको किस करते हुए बोला- जान, तुम एक बात बताओ। तुम्हारी चूत से खून क्यों नहीं आया?
वह बोली- बाबू, मैं आपकी याद में कई बार उंगली करती थी. कई बार तो मैंने गाजर मूली भी घुसाई तो चूत की सील टूट गई। इसलिए खून नहीं आया।

मैंने उसे किस किया, उसका दूध पिया, फिर बोला- जान, अब नीचे जाओ, कोई आ ना जाये। रात बहुत हो गयी. अब एक हफ्ते बाद सही से चोदूंगा।
वह भी खुश हो कर बोली- हाँ जान, रोज रोज चुदाई करोगे तो चूत दर्द करेगी। क्या पता फिर रोज की चुदाई में आपके बच्चे की माँ बन जाऊँ।

मैंने किस करके उसको कपड़े पहनाये और नीचे जा कर देखा कोई उठा हुआ तो नहीं है।
सब सो रहे थे.

अभी भी सुबह के 3 बज रहे थे.
उसे मैं धीरे उसके कमरे में छोड़ गया।
वह मज़े से जा कर अपने कमरे में सो गयी और मैं भी सब बिस्तर ठीक करके दारू की बोतल हटा कर सो गया।

इसके बाद भी रोशनी से बहुत मजा किया.
यह मैं आगे की कहानी में बताऊँगा।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी, कमेंट करके जरूर बताना।

यह मेरी पहली कहानी है, कुछ गलती हो तो माफ करना।

Saturday, 7 October 2023

मेरी सगी दीदी

मेरी सगी दीदी

दीदी ने मुझसे अपनी सहेली को भी चुदवाया. लेकिन फिर दीदी ने मुझे चूत देनी बंद कर दी. दीदी को मैंने उनके बॉयफ्रेंड से चुदाई करती देखा.

मेरा नाम जय शर्मा है, मैं मध्यप्रदेश के भोपाल शहर में रहता हूं।
मेरे परिवार में हम चार लोग रहते हैं मम्मी पापा, दीदी और मैं!

यह सेक्सी हॉट गर्ल की चुदाई कहानी मेरी दीदी की है जो भरी हुई जिस्म की मालकिन हैं.
दीदी का नाम रानी है, वे मुझसे कई साल बड़ी हैं.

बात उन दिनों की है जब दीदी की जवानी की शुरुआत थी.
उस समय हम गांव में रहा करते थे.

वहाँ मेरी दीदी की सखी कमला भी हमारे घर के पास रहती थी।

एक दिन ऐसा हुआ कि जब मम्मी पापा किसी काम से शहर गए हुए थे.

तब दीदी और उनकी सहेली को पता नहीं क्या सूझा, वे दोनों मुझे मेरे घर के अंदर ले गई.

मैं बहुत नादान था.
कमरे में ले जाकर पहले दीदी ने मेरी पैंट उतारी और मुझे नंगा कर दिया.
उसके बाद दीदी ने भी सलवार का नाड़ा खोला, मेरे सामने दीदी बिल्कुल पेंटी में थी.

फिर धीरे धीरे दीदी ने पेंटी भी उतार दी।
तब मैंने देखा कि दीदी की चूत में हल्के हल्के बाल हैं और मेरे लंड में कुछ भी बाल नहीं हैं.

मैं बस कुछ समय दीदी की चूत को देखता ही रहा.
फिर दीदी ने चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा- हाथ से रगड़ इसे!
लेकिन मैंने डर के मारे कुछ नहीं किया.

तब दीदी बिस्तर पर लेट गयी और अपनी सहेली को इशारा लिया.
दीदी की सहेली भी वहीं थी तो उसने मुझे पकड़ कर दीदी के ऊपर लिटा दिया।

उसने मेरे लण्ड को पकड़ कर दीदी की चूत की दरार में रखा.

दीदी ने अपने चूतड़ उछाल कर मेरे लंड को अपनी चूत में लेना चाहा.
पर मेरा लण्ड खड़ा नहीं था इसलिए दीदी की चूत के अंदर जा नहीं रहा था.

फिर मुझे खड़ा करके दीदी की सहेली ने मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसा तो मेरा लंड खडा हो गया.
इस तरह से मेरे लण्ड को खड़ा करके फिर मेरे लण्ड को दीदी की चूत के सामने रखा और मुझे उन्होंने धक्का लगाने को कहा.

उनके कहने पर मैंने धक्का लगाया तो दीदी की चूत के अंदर मेरा लण्ड चला गया.

उस समय मुझे बहुत तकलीफ हुई और मेरे लंड की सील दीदी की चूत ने तोड़ी.
फिर मैंने दीदी की चुदाई की.

उसके बाद दीदी ने उनकी सहेली कमला को कपड़े उतारने को कहा.
कमला भी मेरे सामने नंगी हो गई, मैंने कमला की भी चुदाई की।

सेक्सी हॉट गर्ल की चुदाई से मैं बहुत थक गया था.

वो मेरी पहली चुदाई थी, उस समय मुझे चुदाई के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था।

उसके बाद पता नहीं क्या हुआ, दीदी ने दोबारा मेरे साथ वो सब नहीं किया.

फिर मैं बड़ा हुआ, तब दीदी की चुदाई के बारे में सोचकर मन ही मन खुश हुआ करता था.

एक बार मेरे पेपर चल रहे थे, तब मैं आंगन बैठ कर पढ़ रहा था.
मेरे घर के आंगन में ही बाथरूम बना हुआ था.

आपने देखा होगा कि गांव का बॉथरूम जो बिना दरवाजे का होता है और ऊपर से पूरा खुला हुआ!
हमारा बाथरूम लकड़ी की फट्टियों से बना हुआ था.

मैं बिल्कुल बॉथरूम के दरवाजे के सामने की ओर ही बैठा था।

तब दीदी कपड़े लेकर नहाने के लिए मेरे सामने बॉथरूम के अंदर चली गई।

फिर दीदी ने जैसे ही कमीज उतारी, तब मैंने जैसे ही दीदी को ब्रा में देखा, मेरे लण्ड में मानो तूफान आ गया हो.

इसके बाद दीदी ने जैसे ही सलवार उतारी और दीदी केवल पैंटी में हो गई, उनकी गोरी गोरी जाँघों को देखकर मैं तो पागल हो गया था.

दीदी ने मेरी तरफ ध्यान नहीं दिया था, उन्होंने सोचा कि मैं पढ़ाई कर रहा हूँ.
फिर दीदी ने जैसे ही ब्रा उतारी तो मेरी नज़र नंगी दीदी के बदन से हटने का नाम ही नहीं ले रही थी।

दीदी के बूब्स बिल्कुल बड़े बड़े मेरे सामने आ गए.
तो दीदी के मम्मे देखकर मेरा बहुत बुरा हाल हो गया था क्योंकि मैं पहली बार इतने बड़े मम्मे देख रहा था.
पिछली बार जब दीदी मेरे सामने नंगी हुई थी तो उनके मम्मे इतना बड़े नहीं थे.

अब मेरा तो पूरा ध्यान दीदी के ऊपर था।

पता नहीं कैसे मुझे दीदी ने उनको घूरते हुऐ देख लिया और अपने स्तन छुपाने लगी.
फिर वे मेरी तरफ पीठ करके नहाने लगी जिससे मुझे उनके बूब्स नहीं दिख पा रहे थे।

अब मैं निराश होकर पढ़ाई करने लगा.
पर मेरा तो पढ़ाई में बिल्कुल ध्यान नहीं लग रहा था, बस दीदी के बड़े बड़े दूढ ही आँखों के सामने तैरते दिख रहे थे।

अब मैं दीदी के बारे में बहुत गंदा गंदा सोचने लगा था।
जब भी दीदी नहाने जाती, मैं उनको नंगी देखने की पूरी कोशिश करता रहता और देख भी लेता था.

मैंने मुठ मारना भी शुरू कर दिया था.

समय बीतता गया, दीदी की पढ़ाई पूरी हो गई थी और दीदी की शादी हो गई.

अब मुझे दीदी के बूब्स देखने को नहीं मिल पा रहे थे।

दीदी की शादी को तीन महीने ही हुऐ थे कि जीजा की मृत्यु किसी कारणवश हो गई और दीदी हमारे घर फिर से आ गई.

पर अब मुझसे दीदी का चेहरा देखा नहीं जा पा रहा था क्योंकि वे हमेशा उदास रहती थी।
इसलिए मैं दीदी को नहाते हुई भी नहीं देख सकता था, अब मेरा भी मन नहीं करता था.

फिर धीरे धीरे समय बीतता गया.
दीदी भी सबकुछ भूल गई थी और हंसती हुई खुश रहने लगी थी.

दीदी ने आगे की पढ़ाई करना चालू किया और उनकी नौकरी लग गई।
उनकी नौकरी भोपाल में थी।

तब मम्मी पापा ने मुझे दीदी के साथ रहने के लिए बोला और मैं उनके साथ रहकर ही पढ़ाई करने लगा।

दीदी जॉब पर चली जाती और मैं कॉलेज चला जाता।
ऐसा रोज होने लगा.

फिर एक दिन दीदी नहाने के लिए बॉथरूम गई हुई थी तब उसके फोन पर व्हाट्सएप मैसेज आया.
मैसेज में ‘hi sona’ लिखा था.

तब मैसेज देखकर मेरी आंखें तेज हो गई. शायद वह मैसेज दीदी के बॉयफ्रेंड का था।
अब मैं दीदी के बारे में फिर से गलत सोचने लगा था।

एक दीदी और मैंने खाना खाया और मैं मेरे कमरे में सोने चला गया और दीदी उनके कमरे में चली गईं.

तकरीबन रात के 1 बजे रहे होंगे जब मैं पानी पीने के लिए उठा.
तब दीदी के कमरे से मुझे कुछ अजीब सी आवाजें सुनाई देने लगी.
पर मुझे उनकी आवाज साफ सुनाई नहीं दे रही थी।

फिर मैंने कान लगा कर सुना तो ‘आह! ओह! अहा!’ की आवाज सुनाई दी.
तो मैंने सोचा कि दीदी बहुत दिन से नहीं चुदी होगी इसलिए उंगली कर रही होगी.

पर मुझे उनके आवाज के साथ किसी और की आवाज सुनाई दी.
तब मुझे पक्का भरोसा हो गया कि दीदी किसी मर्द के साथ चुदाई करवा रही होगी।

फिर मैं धीरे से दीदी के कमरे की खिड़की के पास गया.
खिड़की के अंदर मुझे साफ साफ दिखाई दे रहा था.

जैसे ही मैंने अंदर देखा तो अंदर का नजारा बिल्कुल देखने लायक था।

दीदी घोड़ी बनी हुई थी और उनका बॉयफ्रेंड धर्मेंद्र दीदी की चुदाई कर रहा था.
धर्मेंद्र से दीदी ने मुझे एक बार मिलाया था।

कुछ समय बाद धर्मेन्द्र ने लण्ड दीदी की चूत से बाहर निकाला और दीदी के सामने लण्ड किया और दीदी को चूसने के लिए कहा.
तो दीदी ने तुरंत उसका लण्ड मुंह में ले लिया और चूसने लगी।

दीदी का यह रूप देखकर मेरे लण्ड में भी आग लग चुकी थी.
अब दीदी बिल्कुल रण्डी की तरह धर्मेंद्र का लण्ड चूस रही थी।

कुछ समय तक लण्ड चूसने के बाद उसने दीदी को फिर से घोड़ी बनाया और दीदी की बालों को पकड़ कर चुदाई करने लगा।
दीदी के मुंह से ‘आह ओह … माई गोड … फक मी’ की आवाज आने लगी.

दीदी ओर धर्मेंद्र की चुदाई काफी देर तक चली.
फिर धर्मेन्द्र ने दीदी की चूत के अंदर अंदर से लंड निकाला और दीदी के मुंह के अंदर पूरा वीर्य दीदी के मुंह में छोड़ दिया.

इसके बाद दोनों आपस में लिपट के सो गए।

जब मैं सुबह उठा तो दीदी बहुत खुश लग रही थी.

शायद मेरे कारण उनकी चुदाई नहीं हो पा रही थी।
पर रात की चुदाई के बाद दीदी बहुत खुश थी।

इसबात को 15 दिन गुजर गए.
शायद धर्मेंद्र किसी काम से शहर से बाहर गया होगा।

एक दिन जब सुबह दीदी नहाने गई तब उनकी मोबाइल में मैसेज आया कि वह आज सुबह भोपाल पहुंचने वाला है.
मैसेज पढ़ कर मैंने दीदी का मोबाईल वहीं रखा और बाहर चला गया.

कुछ टाइम बाद जब मैं रूम में गया तब तक दीदी नहाकर तैयार हो गई थी और नौकरी के लिए निकल गईं थी।

मुझे पता था कि दीदी की आज दमदार चुदाई होगी क्योंकि पूरे 15 दिन के बाद दोनों मिल रहे थे।

मेरा मन कॉलेज में नहीं लग रहा था इसलिए मैं कॉलेज से घर जल्दी आ गया.

जब मैं घर पहुंचा तो घर का ताला खुला हुआ था.
फिर मैंने धीरे से दरवाजा को धक्का दिया तो दरवाजा खुल गया।

जैसे ही मैं अंदर गया तो अंदर का नजारा कुछ और ही था.
दीदी धर्मेन्द्र का लौड़ा चूस रही थी.
वे बिल्कुल नंगी थी दीदी की चूत बिल्कुल चिकनी थी, शायद आज दीदी चूत की शेविंग की होगी.

मुझे देखकर दीदी घबरा गई और अपने बदन को छुपाते हुए धर्मेंद्र के पीछे छुप गई।

मैं दीदी को इस हालत में देखकर घबरा गया और मुझे देख धर्मेन्द्र ने अपने कपड़े पहने और भाग गया।

दीदी ने मुझसे ‘आइंदा ऐसा कभी नहीं होगा’ करके माफ़ी मांगी।
वे मुझसे नजर नहीं मिला पा रही थी।

ऐसे ही 1 महीना बीत गया.

फ़िर मैंने दीदी के बारे में सोचा कि दीदी को भी किसी मर्द की बहुत जरूरत है जिससे वह अपनी चाहत पूरी करे।
मैंने दीदी से बात करने की सोची।

2 दिन के बाद एक बार मैं दीदी के बारे में सोचकर मुठ मार रहा था और झड़ गया और वैसे ही सो गया, मुझे कुछ पता ही नहीं चला.

सुबह दीदी मेरे कमरे में आकर पौंछा लगाने लगी.
मेरा लण्ड लोवर से बाहर था.

दीदी ने जैसे ही मेरा लौड़ा देखा, देखती ही रह गई और हाथ से टच भी कर रही थी.
शायद बहुत दिन हो गए थे धर्मेंद्र और दीदी के चुदाई को … इसलिए मेरा लौड़ा देखकर दीदी सब कुछ भूल गई थी।

दीदी मेरा लौड़ा हिलाने लगी थीं पर कुछ समय बाद दीदी रूम से बाहर चली गईं।

दिसम्बर का महीना आधा बीत चुका था, तब बहुत जोर की ठंड चल रही थी. मेरी छुट्टियां पड़ गयी थी.

अब हम भी गांव जाने की सोचने लगे और अपनी अपनी सामान को पैक करने लगे क्योंकि हमारी बस शाम 7 बजे वाली थी इसलिए जल्दबाजी में हम कंबल रखना भूल गए.
वैसे मैंने एक कंबल रख लिया था पर दीदी ने नहीं रखा था.

बस में हमारी स्लीपर सीट थी.
जैसे ही बस में बैठे, ठंड बहुत तेज लगने लगी थी.

फिर दीदी ने बैग चैक किया तो कंबल नहीं मिला और हम दोनों एक दूसरे को देखने लगे.
तब मैं जो कंबल लाया था, वही हम दोनों ने ओढ़ लिया.

फिर बस करीब 10 बजे एक ढाबे में रुकी.
तब पता चला कि बस 30 मिनट तक यहाँ रूकेगी.

तब सभी लोगों ने ढाबे में खाना खाया और बस के चलने का इंतजार करने लगे.

बस 10:30 बजे ढाबे से निकली और अब सभी लोगों को नींद आने लगी थी.
सब अपनी अपनी सीट पर आराम करने लगे थे.
दीदी और मैं भी कंबल ओढ़कर सो गए.

करीब 2 बजे रात को मेरी आंख खुली.
तब दीदी मेरी तरफ पीठ करके सो रही थी.
वे मुझसे बिल्कुल चिपकी हुई थी इस कारण मेरा लण्ड खड़ा होने लगा और दीदी की गांड में जाने को होने लगा.

कुछ टाइम बाद दीदी ने करवट बदली और मेरे तरफ चेहरा करके सोने लगी.
फिर मैं भी करवट बदल का दीदी की तरफ पीठ करके सो गया।

कुछ समय बाद दीदी मेरे ऊपर हाथ रख दिया.
मैंने कोई 15 मिनट तक मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो दीदी मेरे लोवर में मेरा लौड़ा सहलाने लगी.

मुझे भी नींद नहीं आ रही थी इसलिए मैं भी जागा हुआ था.
अब मेरा लंड भी खड़ा हो गया था तो दीदी समझ चुकी थी कि मैं जागा हुआ हूं।

दीदी कंबल के अंदर से मेरा लौड़ा चूसने लगी.
मुझे तो जन्नत जैसा लगने लगा था.

कुछ समय दीदी मेरा लौड़ा चूसने के बाद दीदी बिल्कुल मेरे सामने साइड आ गई और सोने लगी.
नीचे से दीदी बिल्कुल नंगी थी, मेरा लौड़ा पूरा खड़ा था.

दीदी की चूचियां भी बाहर थी. दीदी ने मेरा सर अपने बूब्स के पास किया और मेरे मुंह में निप्पल देकर चुसवाने लगी.

अब दीदी ने मेरे लण्ड को पकड़ कर चूत के सामने सेट किया और अंदर लेने के लिए आगे हुई.
पर मेरा लौड़ा दीदी की चूत के अंदर नहीं जा रहा था.

ऐसे ही दीदी ने 4-5 बार प्रयास किया पर मेरा लंड बार बार फिसल रहा था।

फिर मुझसे भी रहा नहीं गया और मैंने जोर का झटके के साथ दीदी की चूत के अंदर लौड़ा पेल दिया।
जिससे दीदी चीख पड़ी और और रोने लगी- भाई प्लीज निकालो!

मैं सुनने के मूड में नहीं था.

मैंने धर्मेंद्र और दीदी की चुदाई याद करके बहुत देर तक दीदी की चुदाई की अलग अलग पोजिशन में रात भर की।

 

चलती ट्रेन में बहन की सीलफाड़ चुदाई

चलती ट्रेन में बहन की सीलफाड़ चुदाई

एक बार हम ट्रेन के एसी फर्स्ट वाले कूपे में थे तो हम आपस में खुल गए और सेक्स का मजा लिया.

मेरा नाम राहुल है, मैं दिल्ली में रहता हूँ.
मेरे परिवार में 4 लोग हैं. मैं मम्मी पापा और मेरी बहन रेनू.


रेनू दी मुझसे 4 साल बड़ी हैं. वे दिखने एकदम हीरोइन लगती हैं.
उनके फिगर का साईज 34-30-36 उन्हें बड़ा ही मस्त माल बनाता है.

रेनू दीदी अपनी पढ़ाई पूरी करके जॉब के लिए ट्राई कर रही थीं.
तभी उनका इन्टरव्यू पुणे में एक कंपनी से कॉल आया.
पुणे में हमारा एक फ्लैट पहले से ही है जो खाली रहता है.

रेनू दी ने मुझसे साथ चलने के लिए कहा.
पापा ने हमारी टिकट करंट में एसी फर्स्ट में दो बर्थें बुक करवा दी और हम लोग शाम को ट्रेन में बैठ गए.

हम दोनों स्टेशन पर अपने एसी फर्स्ट वाले कूपे में चले गए.
ये दो बर्थ वाला कूपा था.

टीटीई से अपने टिकट चैक करवा कर हम दोनों अन्दर आ गए और कूपा अन्दर से लॉक कर लिया.

अब हम दोनों बात करने लगे.

बातों बातों में दीदी ने पूछ लिया- तेरी कोई गर्लफ्रैंड है?
मैं- नहीं.

दीदी- साले झूठ मत बोल, इतना हैंडसम होने के बाद भी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है … क्यों?
मैं- आपके जैसी कोई आज तक मिली ही नहीं.

दीदी मुस्करा कर बोलीं- अच्छा बेटा मेरे जैसी का क्या मतलब?
मैंने कहा- दीदी आपके जैसी सुंदर लड़की नहीं मिली.

दीदी ने सेक्सी स्माईल दी और हम लोग खुल कर बात करने लगे.

मैंने कहा- शायद ऊपर वाला हमें कोई सिग्नल दे रहा है.
दीदी बोलीं- क्या सिग्नल?
तभी मैंने दीदी का चेहरा अपने दोनों हाथों में पकड़ा और बोला- दीदी आई लव यू.
दीदी ने भी ‘आई लव यू टू.’ बोला.

मैं- दीदी मैं आपसे वो वाला प्यार करता हूँ.
दीदी- कौन सा वाला!

‘दीदी मैं आपके साथ सेक्स करना चाहता हूँ.’
दीदी बोलीं- पागल हो गए हो क्या … मैं तुम्हारी बड़ी बहन हूँ.

मैंने कहा- तो क्या हुआ दीदी आप बताइए. दीदी आपका सेक्स करने का मन नहीं करता क्या?
वे बोलीं- करता तो है लेकिन तुम मेरे भाई हो. मैं तुम्हारे साथ नहीं कर सकती.

मैंने कहा- दीदी, कहीं बाहर जाकर करोगी तो बदनामी होगी और कोई ब्लैकमेल भी कर सकता है. आप घर में ही कर लो ना!
दीदी चुप हो गईं.

मैं दीदी के पास जाकर बैठ गया और उनके होंठों पर होंठ रख दिए.
अब दीदी भी मेरा साथ देने लगीं.

मेरा हाथ उनके बूब्स पर चल रहा था.
दीदी एक टॉप और जींस पहनी हुई थीं.

मैंने अपना हाथ दीदी के टॉप में डाल दिया और उनके एक दूध को दबाने लगा.
वे नशीली आंखों से देखती हुई बोलीं- कपड़ों के ऊपर से मजा लेना है क्या?

मैंने दीदी का टॉप उतार दिया.
अब दीदी मेरे सामने ब्रा और जींस में थीं.

शायद पहली बार किसी और ने उनके साथ ऐसा किया था.
उनका मखमल सा जिस्म चमक रहा था.

मैं उनके होंठों को चूस रहा था और ब्रा के ऊपर से ही बूब्स दबा रहा था.

कभी दीदी आह आह कर देतीं, तो मुझे जोश आ जाता था.
अब मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी और पैंट भी. मैं केवल नेकर में था.

दीदी का हाथ मेरे नेकर के ऊपर से ही लंड पर था.
मैंने दीदी की पैंट खोल कर उतार दी. दीदी मेरे सामने ब्रा और पैंटी में थीं.

मैं बता नहीं सकता कि मेरी बहन क्या कांटा माल लग रही थी.
उनके जिस्म को देख कर मैं पागल हुआ जा रहा था.

तभी दीदी खड़ी हुईं और उन्होंने मेरा नेकर उतर दिया.
मेरा लंड फनफना कर बाहर आ गया.

‘राहुल तेरा लंड तो बहुत ही बड़ा है.’
वे घुटनों के बल बैठ कर मेरे लौड़े को मुँह में लेने लगीं.

मैं सातवें आसमान पर था. मत पूछो कि कितना ज्यादा मजा आ रहा था.

एक गदराई हुई बहन अपने भाई के लंड को चूस रही थी.
मैं मादक आवाज में सीत्कार कर रहा था- आह दीदी, कितना अच्छा चूसती हो … तुम मस्त हो मेरी बहना … आह आह आह चूस लो मेरे लौड़े को … आह मजा आ गया.

कुछ मिनट दीदी ने मेरा लंड चूसा.
उसके बाद मैंने दीदी को उठाया और गले से लगा लिया.

पीछे हाथ ले जाकर मैंने अपनी बहन की ब्रा का हुक खोल दिया.
मैंने अपनी दीदी की चूचियों को आजाद कर दिया और उन्हें एक छोटे बच्चे की तरह पीने लगा.

मैं दीदी की चूचियां पी रहा था. दीदी के मुँह से आई आह यस … उह्ह्ह्ह हम्म्म आह आह की आवाज निकली जा रही थी.
वे बोली जा रही थीं- आह चूसो मेरे बहनचोद भाई आह … पी जा साले इनका सारा रस.

अब मैंने दीदी को बर्थ पर लिटा लिया और उनकी पैंटी भी उतार दी.
हम दोनों भाई बहन पूरे नंगे थे और ट्रेन भी अपनी फुल स्पीड में चल रही थी.

दीदी बोले जा रही थीं- आह राहुल अब रहा नहीं जा रहा है … मुझे चोद दो प्लीज … मेरी चूत में अपना लंड डाल दो.
मैंने भी देर करना उचित नहीं समझा. मैं दीदी के मुँह के आगे लंड लाया और बोला- लौड़े को गीला करो दीदी.

दीदी ने तुरंत मेरा लंड मुँह में लेकर अच्छे से गीला कर दिया.
मैंने उनकी दोनों टांगें फैलाईं और एक झटका दे मारा.

मेरा टोपा उनकी चूत में चला गया और दीदी की बुरी तरह चीख निकल गई- आआ … आह्हह निकालो इसे … फट गई मेरी.

वे लगभग रोने लगीं और कसमसा कर ऊपर को होने लगीं.
पर मेरी पकड़ काफी मजबूत थी, तो उनसे हिलना भी नहीं हो पाया.

‘मुझे छोड़ दो प्लीज … मैं मर जाऊंगी निकालो इसे … मुझे नहीं चुदना.’ दीदी की आंखों से आंसू आ रहे थे.
मैं उसी पोजीशन में रुका रहा, उनके होंठों को चूसता रहा और बूब्स को दबाता रहा.
इससे दीदी का दर्द कुछ कम हुआ.

मैंने दूसरा झटका दे मारा.
इस वजह से पूरा लंड दीदी की चूत को चीरता हुआ चला गया.

दीदी बेहोश हो गईं.

मैंने दीदी की चूत से बिना लंड निकाले बिना पास में रखी पानी की बोतल से उनके मुँह पर पानी गिरा दिया.
तभी दीदी होश में आ गईं और रोने लगीं.

मैं भी उनके बूब्स को हल्के हल्के दबा रहा था.

थोड़ा दर्द कम हुआ तो मैं अपने लंड को आगे पीछे करने लगा.
अब रेनू दीदी को भी चूत चुदवाने में मजा आने लगा था.

वे भी अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगीं और कहने लगीं- आह्ह्ह मेरे राजा चोद दे अपनी बहन को … फाड़ दे मेरी चूत को आह यस आआहह मेरे बहन के लौड़े भाई … और तेज और तेज पूरा अन्दर तक डाल मादरचोद … फाड़ दे भोसड़ी के … आह आज मैं तेरी बहन नहीं … तेरी रखैल हूँ पूरा अन्दर तक डाल … गाभिन कर दे मुझे … चोद चोद कर मां बना दे साले … आज से तेरी रंडी हूँ मैं … मार मेरी चूत आह्ह मेरे राजा और तेज पेल … कितना मजा आ रहा है भाई का लंड लेने में आआह्हह अह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह.

मैं भी जोश में आकर जोर जोर से पेले जा रहा था- हां, साली कुतिया तू मेरी रंडी है आज से … तेरी चूत और गांड दोनों फाड़ूँगा बहन की लौड़ी रंडी … अब तक कहां थी साली छिनाल … आआह्ह उह्ह्ह मेरी जान.

रेनू दीदी दो बार झड़ चुकी थीं.
मेरा भी होने वाला था.

‘मेरा रस आने वाला है मेरी जान कहां लेगी?’
रेनू दीदी बोलीं- मेरी चूत को भर दो आज अपने माल से आह.

ये सुनकर मैं बिंदास हो गया और कुछ ही झटकों के बाद मैं निढाल होकर अपनी बहन के मम्मों पर गिर गया.
Xxx ट्रेन फक के बाद कब हम दोनों नींद के आगोश में चले गए, हमें पता भी नहीं चला.

फिर सुबह 4 बजे मेरी आंख खुली. मैंने देखा कि दीदी अभी भी सो रही थीं.

मैंने नेट पर देखा तो हम लोग पुणे पहुंचने वाले थे.

मैंने दीदी को उठाया.
वे उठीं तो उनसे चला भी नहीं जा रहा था.
उन्होंने अपनी ब्रा पैंटी टॉप और जींस पहन ली.

मैं उन्हें सहारा देकर वॉशरूम ले गया और उन्हें साफ किया.

सुबह हो गई थी. हमारा स्टेशन भी आ गया था.

तब हम दोनों उतरे और हमने एक टैक्सी की और अपने फ्लैट की तरफ चल दिए.

फ्लैट की लिफ्ट तक दीदी को मैं सहारा देकर ले गया.

फ्लैट में जाते ही मैंने दरवाजा बंद कर दिया.

मैंने पीछे से दीदी के बूब्स पकड़ लिए.
‘राहुल कम से कम ठीक से बैठने तो दे.’

मैंने दीदी से कहा- दीदी आप अपना टॉप उतार दो.

दीदी मना करने लगीं और सोफे पर जाकर बैठ गईं.

मैंने दीदी से पूछा- दीदी चुदाई में मजा आया ना!

यह कहते हुए मैंने अपनी बहन के मम्मों पर किस कर दिया.
दीदी बोलीं- बहुत ज्यादा मजा आया. काश मैं तेरा लंड लेकर हमेशा घूमूँ. हमेशा तेरा लंड मेरी चूत में पड़ा रहे.

‘तो देर किस बात की, खोलो अपनी चूत … डाल लंड देता हूँ!
‘अभी नहीं, पहले फ्रेश हो लेती हूँ … फिर कहीं घूमने चलेंगे. रात को मस्ती करेंगे.’

‘चलो आज साथ नहाते हैं.’ मैंने कहा.
दीदी बोलीं- ठीक है, पर तुम मुझे वॉशरूम में चोदोगे नहीं पहले वादा करो.

मैंने कहा- ओके प्रोमिस.
फिर मैंने दीदी का टॉप उतारा, पैंट उतारी … ब्रा और पैंटी भी उतार दी.

दीदी ने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए.
मैं दीदी को गोद में उठा कर वॉशरूम में ले गया.

अपनी सगी बहन की चूची और चूत पर साबुन लगा कर अच्छे से नहलाया और उन्होंने मेरे लंड पर साबुन लगा कर मुझे नहलाया.

फिर हम लोग नहा कर बाहर आ गए.
मैंने दीदी से कपड़े पहने से मना कर दिया और हम दोनों एक दूसरे का जिस्म पौंछ कर ऐसे ही बाहर आ गए.
अब हमें भूख भी लगने लगी थी.

मैंने खाना ऑर्डर कर दिया.
खाना खाने के बाद दीदी ने कहा- चलो मूवी देखने चलते हैं.
मैंने ओके कह दिया.

दीदी ने पूछा- क्या पहन कर चलूँ?
‘जो जल्दी खुल जाए, वो पहन लो.’

दीदी ब्रा पहनने लगीं.
मैंने मनाकर दिया.

दीदी ने एक गाउन पहन लिया, बिना ब्रा और पैंटी के.
उसमें आगे पूरे बटन थे. कोई सा बटन खोल कर कुछ भी कर सकते थे.

दीदी के निप्पल साफ दिख रहे थे.
फिर दीदी ने एक दुपट्टा डाल लिया और हम लोग चल पड़े.
मैंने लास्ट कॉर्नर की दो सीटें बुक करा ली थीं.

मूवी भी बड़ी ही सेक्सी थी. उसमें ज्यादा भीड़ भी नहीं थी.
पूरे हॉल में 20 लोग रहे होंगे.

मैंने अंधेरा होते ही अपनी दीदी के बूब्स दबाने चालू कर दिए.
दीदी की चूत पर हाथ रख दिया.

दीदी ने मना कर दिया.
वे बोलीं- मेरा गाउन खराब हो जाएगा.

मैं भी नहीं चाहता था कि दीदी को कोई दिक्कत हो.
इंटरवेल में मैं टिश्यू पेपर ले आया.

वे बोलीं- इसका क्या करेगा?
मैं बोला- अभी पता चल जाएगा.

दीदी जाकर पहले बैठ गईं.
मैंने नीचे से बटन खोलना शुरू कर दिया.

दीदी बोलीं- क्या कर रहे हो?
मैंने पेट तक बटन खोल दिए और कहा- जरा उछलो.

वे उचकीं, तो मैंने उनका गाउन पीछे से उठाया दिया और चूत में उंगली करने लगा.
दीदी ने सेक्सी स्माइल दे दी.

उन्होंने भी मेरा लंड निकाल लिया.
मैंने दीदी से कहा- चूसो.

वे बोली- यहीं?
मैंने कहा- हां.

वे लंड चूसने लगीं.
मैं उनकी चूत में उंगली करने लगा.
मैं दीदी के मुँह में और दीदी सीट पर झड़ गईं.

दीदी मेरा सारा माल पी गईं.
फिर मैंने टिश्यू पेपर से दीदी का मुँह और जांघें पौंछ दीं.

बाद में हम दोनों घर के लिए निकल गए.
दूसरे दिन दीदी ने इंटरव्यू दिया और सिलेक्ट हो गईं.

हम लोगों को जब मौका मिलता है, घर में चुदाई का मजा आने लगता है.

एक दिन दीदी ने पापा से कहा- राहुल को भी मेरे साथ वहीं भेज दो. राहुल वहीं पढ़ता भी रहेगा और मेरे साथ रहने के लिए भी कोई मिल जाएगा.

पापा मान गए और मेरा दाखिला वहीं एक कॉलेज में करवा दिया.
अब हम दोनों भाई बहन बिंदास चुदाई का मजा लेते हैं.

 

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